भगवान हनुमान जी का विवाह किससे और क्यों हुआ,कहाँ स्थित है पत्नी संग मंदिर/bhagavaan hanumaan jee ka vivaah kisase aur kyon hua,kahaan sthit hai patnee sang mandir

 
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भगवान हनुमान जी का विवाह



मित्रों पवन पुत्र हनुमानजी जिन्हें सबसे बड़े राम भक्त के रूप में जाना और पूजा जाता है वैसे तो हमारे हिंदू शास्त्रों में भगवान हनुमान से जुड़ी कई मान्यताएँ हैं लेकिन आज मैं बात करने वाला हूँ उस मान्यता की जो बजरंग बली के ब्रह्मचर्य धर्म से जुड़ी हुई है । हम और आप बचपन से ही यही सुनते आये हैं कि भगवान हनुमानजी बालब्रह्मचारी थे और उन्होंने कभी विवाह नहीं किया था लेकिन मित्रों यह केवल आधा सत्य है क्योंकि हमारे शास्त्रों में हनुमानजी के विवाहित होने का उल्लेख मिलता है । 

भगवान हनुमान का विवाह किससे और क्यों हुआ था/Whom and why Lord Hanuman ji/Bajrang Bali was married~ 

भगवान हनुमानजी अपने भक्तों पर आने वाले सभी कष्ट को हर लेते हैं ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमानजी बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं, जिन्हें भक्त मंगलवार को पूजा के बाद अमृत वाणी और श्री हनुमान चालीसा का पाठ कर प्रसन्न करते हैं ।

  जाने पराशर संहिता में मिलने वाली एक कथा के अनुसार हनुमान जी का विवाह कैसे हुआ/Know how Hanuman ji got married according to a legend found in Parashar Samhita ~ 

हनुमान जी का विवाह हुआ था लेकिन फिर भी वो हमेशा ब्रह्मचारी ही रहे, दरअसल पराशर संहिता में उल्लेख मिलता है कि हनुमानजी सूर्य देवता के शिष्य थे, जो सूर्यदेव से उनकी नौ विद्याओं का ज्ञान लेना चाहते थे । सूर्य देव ने बजरंगबली को नौ में से पांच विद्याओं का ज्ञान तो दे दिया लेकिन बाकी की बची चार विद्याओं का ज्ञान वो भगवान हनुमानजी को देने में असमर्थ थे क्योंकि इन विद्याओं का ज्ञान सूर्य देव सिर्फ उन्हीं शिष्यों को दे सकते थे जो विवाहित थे, ऐसे में सूर्यदेव ने भगवान हनुमानजी के आगे विवाह करने का प्रस्ताव रखा, पहले तो भगवान हनुमानजी नहीं माने लेकिन फिर विद्याओं का पूर्ण ज्ञान लेने के लिए वो अपने गुरु के इस प्रस्ताव को मान गए । इसके बाद हनुमान जी के विवाह के लिए योग्य कन्या की तलाश शुरू हुई, जो सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चला पर जाकर पूरी हुई, सूर्य देव ने भगवान हनुमान से कहा कि सुवर्चला परम तपस्वी और तेजस्वी है और इसका तेज तुम सहन नहीं कर सकते हो, सुवर्चला से विवाह के बाद तुम इस योग्य हो जाओगे कि विशेष चार दिव्य विद्याओं का ज्ञान प्राप्त कर सको । सूर्यदेव ने भगवान हनुमानजी को ये भी बताया कि सुवर्चला से विवाह के बाद भी तुम सदैव बाल ब्रह्मचारी ही रहोगे, क्योंकि विवाह के बाद सुवर्चला पुनः तपस्या में लीन हो जाएगी । ये सब जानने के बाद भगवान हनुमानजी विवाह के लिए तैयार हो गए और इस तरह सूर्यदेव ने हनुमानजी और सुवर्चला का विवाह करवा दिया, विवाह के बाद सुवर्चला पुनः तपस्या में लीन हो गई और हनुमान जी ने अपने गुरुदेव से शेष चार विद्याओं का ज्ञान भी प्राप्त कर लिया और इस प्रकार विवाह के बाद भी हनुमान जी सदैव ब्रह्मचारी ही बने रहें ।

 हनुमानजी के दूसरे विवाह का उल्लेख पवनचरयू संहिता से प्राप्त होता है/The second marriage of Hanumanji is mentioned from the Pawanacharu Samhita ~

पवनचरयू के अनुसार रावण और वरुण देव के बीच हुए युद्ध में हनुमानजी ने वरुण देव की तरफ से रावण से युद्ध किया था, परिणामस्वरूप इस युद्ध में रावण की हार हुई थी और युद्ध में हारने के बाद रावण ने अपनी दुहिता अनंग कुसुमा का विवाह पवनपुत्र से कर दिया था हालांकि इस विवाह के बाद भी भगवान हनुमानजी ने कभी भी वैवाहिक जीवन नहीं जिया और वह सदैव ही भगवान राम जी की पूजा में लीन रहे । इसके अलावा इस महाकाव्य में इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि जब वरुण देव और रावण के बीच युद्ध हो रहा था तब हनुमानजी के विजयी होने पर वरुण देव अत्यधिक प्रसन्न हुए थे और इस वजह से प्रसन्न होकर वरुण देव ने अपनी पुत्री सत्यवती का विवाह हनुमान जी से कर दिया था । मित्रों हनुमान जी ने भले ही विशेष परिस्थितियों के तहत ये तीनों विवाह किये थे लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी पत्नियों के साथ वैवाहिक जीवन व्यतीत नहीं किया और वो आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करते रहे और यही कारण है कि विवाह होने के बाद भी भगवान हनुमानजी को ब्रह्मचारी के रूप में ही पूजा जाता है । 

हनुमानजी का एक ऐसा प्राचीन मंदिर जहाँ पत्नी संग हनुमान जी विराजमान है/An ancient temple of Hanumanji where Hanuman ji is seated with his wife ~

यही नहीं तेलंगाना के खम्मम जिले में हनुमानजी का एक प्राचीन मंदिर भी है, इस मंदिर में हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी और सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चला की मूर्ति रखी है । मान्यता है कि इस मंदिर में जो भक्त हनुमान जी और उनकी पत्नी के दर्शन करता है उनके वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर हो जाती है और पति पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है। 

जाने भगवान हनुमानजी आजीवन ब्राह्मचारी थे फिर उनके पुत्र का जन्म कैसे हुआ/Know that Lord Hanumanji was a lifetime Brahmachari, then how his son was born ~

मित्रों, ये तो थी भगवान हनुमान और उनके विवाह की बात अच्छा क्या आप यह जानते हैं कि भगवान हनुमान एक पुत्र के भी पिता है ~ अब प्रश्न यह उठता है कि जब पवनपुत्र कभी अपनी पत्नी के साथ रहे ही नहीं तो फिर वो पिता कैसे बने, तो मित्रों इस प्रश्न का जवाब वाल्मीकि रामायण में मिलता है जिसके अनुसार हनुमान जी जब लंका दहन कर रहे थे तब लंका नगरी से उठने वाली ज्वाला की तेज आंच से हनुमान जी को पसीना आने लगा और जब पुंछ में लगी आग को बुझाने के लिए वह समुद्र में पहुंचे तब उनके शरीर से टपकी पसीने की बूंद को एक मछली ने अपने मुख में ले लिया इससे मछली गर्भवती हो गई, जिसके बाद उसने वानर रूपी मानव को जन्म दिया, जिसे बाद में रावण के भाई अहीरावण ने पाताल लोक का द्वारपाल बनाया था । तो मित्रों उम्मीद करता हूँ, अब आप समझ गए होंगे कि भगवान हनुमान जी को विवाहित होने के बाद भी ब्रह्मचारी रूप में क्यों पूजा जाता है ।

जय हनुमान जी की ।
जय सूर्यदेव की ।
जय माँ सुवर्चला की ।

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