Spritual;-जाने वेद पुराण और उपवेदों में क्या क्या विशेष अंतर हैं/Know what are the special differences between Vedas, Puranas and Upvedas

 

वेद पुराण और उपवेदों में अंतर,What are the Vedas and Puranas?, What is the Speciality of Vedas?,What is the difference between Ved Puran and Upanishad?, What are the 4 main Puranas?, What do you mean by Puranas?,Who is God according to Vedas?,

वेद एवं पुराण

प्राचीन ग्रंथ वेद एवं पुराण/Ancient scriptures Vedas and Puranas~

 भारत देश और वेद एवं पुराण शुरू से ही एक दूसरे से संबंधित है। फिर भी हम में से अधिकांश लोग वेद और पुराण में क्या भेद है यह नहीं जानते। तो आज हम आपको बहुत महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। वेद ना केवल भारत अपितु संपूर्ण संसार के सबसे प्राचीन ग्रंथ है और संसार के सबसे पुराने दस्तावेज भी है। वेदों के उल्लेख को वैज्ञानिक भी मानते हैं । ऐसा कहा जाता है कि वेदो से ही विश्व के अन्य धर्मों की उत्पत्ति हुई और लोगों ने अपनी अपनी भाषा और अपने अपने ढंग से वेदों के ज्ञान को अपने जीवन में उतारा।  

ज्ञान के ग्रंथ "वेद" शब्द की उत्पत्ति/Origin of the word "Veda", the scripture of knowledge ~

संस्कृत के विद शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है "ज्ञान"। इसलिए वेदों को ज्ञान के ग्रंथ कहा जाता है। विद्या, विद्वान आदि शब्दों की उत्पत्ति भी यहीं से हुई है। वेदों को श्रुति भी कहा जाता है क्योंकि यह ज्ञान ईश्वर द्वारा ऋषि मुनियों को सुनाया गया था। उस काल में वेद लिखित रूप में नहीं थे। इसलिए इस ज्ञान को स्मृति के रूप में ही याद रखा गया था। यह स्मृति और बुद्धि पर आधारित ग्रंथ था। वैसे तो वेदों को कुछ 1000 वर्ष पुराना माना गया है, जबकि वास्तव में वेद एक अरब 97,00,00,000 वर्षों से भी अधिक प्राचीन है। वर्तमान में वेदों को हम चार नामों से जानते है :- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। 

इनके उपवेद क्रमशः आयुर्वेद, गंधर्ववेद, धनुर्वेद और स्थापत्य वेद है। परंतु ऐसा कहा जाता है कि पहले केवल एक ही वेद था। द्वापर युग की समाप्ति के पूर्व तक वेद की संख्या एक ही थी। बाद में समझाने हेतु इन्हें सरल बनाने के लिए वेद को चार भागों में विभाजित किया गया "ऋग्वेद को धर्म" , "यजुर्वेद को मोक्ष" , "सामवेद को काम" और "अथर्ववेद को अर्थ" भी कहा जाता है और इसी आधार पर धर्मशास्त्र, मोक्षशास्त्र, कामशास्त्र और अर्थशास्त्र भी लिखे गए। वेदों में मनुष्य जीवन से संबंधित हर बात उल्लेखनीय है। उदाहरण के लिए वेदों में आयुर्वेद, खगोल, भूगोल, ब्रह्माण्ड, ज्योतिष, रसायन, गणित, धार्मिक नियम भौतिक विज्ञान, प्रकृति, इतिहास, विधि -विधान आदि के विषय में संपूर्ण जानकारी है। 

ऐसा माना जाता है कि अग्नि, वायु और सूर्य ने तपस्या करके ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद का ज्ञान प्राप्त किया। इसलिए इन वेदों को अग्नि, वायु और सूर्य से जोड़ा जाता है। वहीं अथर्ववेद को अंगिरा से जोड़ा जाता है। 

यह जानना भी रोचक हैं की वेदों की 28,000 पांडुलिपियां पुणे के भंडारकर प्राच्य शोध संस्थान में रखी हुई हैं, जिनमें ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियों को यूनेस्को ने भी विरासत की उपाधि देकर इस सूची में सम्मिलित किया है। 

अब संक्षिप्त में बात करते हैं चारों वेदों की ~ 

सबसे पहला वेद ऋग्वेद/The first Veda is Rigveda~

 सबसे पहला और सबसे प्राचीन वेद है, जिसमें 10 अध्याय 1028 और 11,000 मंत्र है। इसमें देवताओं का आह्वान कैसे किया जाए? वो सभी मंत्र है, साथ ही चिकित्सा,भोगोलिक स्थिति, देवताओं की प्रार्थना और देवलोक में देवताओं की स्थिति, अनेक बातों का वर्णन मिलता है। 

दूसरा वेद यजुर्वेद/The second Veda is Yajurveda ~

 यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं जिनके नाम शुक्ल और कृष्ण है। इस वेद में यज्ञ की वास्तविक प्रक्रिया के मंत्री उल्लेखनीय है। 

तीसरा वेद सामवेद/The third Veda is Samveda~

सामवेद में ऋग्वेद की ऋचाएं गीत रूप में है। इसमें लगभग सभी मन्त्र ऋग्वेद से ही है। सामवेद में अग्नि, सविता और देवताओं के विषय में उल्लेख मिलता है। 

चौथा वेद अथर्ववेद/The fourth Veda is Atharvaveda~

अथर्ववेद में प्राकृतिक औषधि अर्थात जड़ी बूटी, आयुर्वेद, रहस्यमयी विद्याओं आदि का उल्लेख है।  

जाने पुराण क्या है इसके इतिहास के बारे मे संपूर्ण जानकारी/Know what is Purana and complete information about its history~

 पुराणो की संख्या कुल मिलाकर 18 है। ऐसी भी मान्यता है कि वेदों को लिखित रूप में लाने के बाद भी सभी श्लोकों में लगभग 100,00,00,000 निश श्लोक बच गए थे। इन श्लोकों का संकलन वेद व्यास द्वारा किया गया, जिनमें से मुख्य 18 संकल्पों को पुराण कहा गया। इसके बाद लगभग 18 उपपुराण लिखे गए और इनके अतिरिक्त बचे हुए उस श्लोकों को लेकर 28 उपपुराण और भी लिखे गए। 

मुख्य 18 पुराणो में छह पुराण ब्रह्मा छह विष्णु और छह महेश को समर्पित है। 

भगवान विष्णु को समर्पित छ: पुराणो के नाम विष्णु पुराण, नारद पुराण, वामन पुराण, मत्स्य पुराण, गरुण पुराण और श्रीमद्भागवत पुराण है। वैष्णव संप्रदाय के लोग इन्हीं पुरानो के उल्लेखों का अनुसरण करते हैं। 

ब्रह्मा को समर्पित पुराण, ब्रह्म पुराण, भविष्य पुराण, अग्नि पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्मांड पुराण और पद्म पुराण है। 

महेश अर्थात शिवजी को समर्पित पुराण, शिव पुराण, लिंग पुराण, कूर्म पुराण, मार्कण्डेयपुराण, स्कंदपुराण और 12 पुराण है। 

आइये जानते हैं कि वेदो और पुराणो के मध्य क्या अंतर है/Let's know what is the difference between Vedas and Puranas~

वेद/Veda ~

जैसा की हमने बताया कि वेदों में मानव जीवन से संबंधित हर बात का वर्णन है। वेदों में इस श्लोकों के माध्यम से नियम बताए गए हैं कि जीवन में हर कार्य व्यवस्थित ढंग से कैसे किया जाए, परंतु कलयुग में मनुष्य के लिए वेदों को समझना बहुत कठिन है। प्रत्येक तथ्य के पीछे क्या धारणा और मंतव्य है ये हमारे लिए समझना बहुत मुश्किल है।

 पुराण/Puranas ~

पुराणो में वेदों के नियमों को कहानियों के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया है। कहानी और इतिहास के माध्यम से हम बेहतर ढंग से समझ सकते हैं कि हमें जीवन में किस प्रकार इस दिशा की ओर अग्रसर होना है ।

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