Sawan Special:- सावन माह के दूसरे सोमवार की व्रत कथा भोलेनाथ की माया/Sawan special:- Fast story of the second Monday of Sawan month, Bholenath's Maya.

शिव की महिमा कहानी भोलेनाथ और उनके परम भक्त योगी की एक सच्ची कहानी/The story of the glory of Shiva - a true story of Bholenath and his supreme devotee Yogi ~

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Shivji ki Mahima 


आज हम आपके लिए भोलेनाथ और उनके परम भक्त की एक सच्ची कहानी लेकर आए हैं बहुत समय पहले की बात है, किसी नगर में भोलेनाथ के परम भक्त एक योगी रहा करते थे वह दिन रात भोलेनाथ की पूजा अर्चना और भोलेनाथ के ध्यान में मगन रहा करते थे । उन योगी की एक बूढ़ी मां भी थी जिनके साथ वह रहते थे । उनकी मां बहुत बीमार रहा करती थी और वह काशी जाना चाहती थी ताकि विश्वनाथ जाकर शिवजी की गोद में वो अपने प्राण त्याग सके । बूढ़ी माई ने एक दिन अपनी यह इच्छा अपने योगी पुत्र के समक्ष प्रकट करी इसके अलावा जीवन भर उन्होंने अपने बेटे से कभी कुछ नहीं मांगा था । अब बेटे ने अपनी मां की यह इच्छा पूरी करना अपना दायित्व समझा लेकिन इतनी दूर काशीनाथ तक मां को ले जा पाना उन्हें असंभव लग रहा था । रात दिन उनके कानों में उनकी बूढ़ी मां के शब्द घूम रहे थे, बेटा मुझे काशी ले चल मैं बूढ़ी हो रही हूं मैं वहीं जाकर अपने प्राण त्यागना चाहती हूं, उस योगी के कानों में दिन-रात अपनी बूढ़ी मां के यह शब्द गूंजते रहते थे । एक दिन उसने अपनी बूढ़ी मां को अपने साथ लिया घर में बचा कुचा जो भी खाने को था वह सब लेकर वह अपनी बूढ़ी मां के साथ जंगलों में होता हुआ काशी की लंबी यात्रा पर निकल पड़ा । 

वृद्ध होने के कारण उसकी मां का रास्ते में ही स्वास्थ्य बिगड़ गया तब उस योगी ने अपनी मां को अपने कंधों पर उठा लिया इस प्रकार वह अपनी काशी की यात्रा पर आगे बढ़ते रहे । कुछ समय पश्चात वह भी कमजोर महसूस करने लगे उनके पास भोलेनाथ से याचना करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा, बूढ़ी मां को पेड़ के नीचे बैठाकर खुद भी हाथ जोड़कर भोलेनाथ से प्रार्थना करने लगे! हे शिवशंभू मुझे मेरे इस प्रयास में विफल मत होने देना मेरी बूढ़ी मां ने जीवन में पहली बार मुझसे कुछ मांगा है कृपा कर मुझे इसे पूरा करने का साहस दीजिए मैं इन्हें काशी ले जाना चाहता हूं, मेरी मां काशी सिर्फ आपके लिए ही आना चाहती है कृपा करके मुझे ताकत दे प्रभु, ऐसा कहते कहते योगी को भी थकान वश नींद आ जाती है । तभी अचानक उनकी नींद खुलती है तो उन्हें घंटी की आवाज सुनाई देती है जैसे कोई बैलगाड़ी आ रही हो, वह उठकर देखते हैं तो थोड़ी दूर से कुछ धुए में से एक बैलगाड़ी उन्हें नजर आती है जिसे एक बैल खींच रहा था, उन्हें थोड़ा अजीब लगा क्योंकि बैलगाड़ी दो बैलों की बजाय सिर्फ एक बैल हांक रहा है। जंगल के इलाके में यह बैलगाड़ी क्‍या कर रही है बैलगाड़ी के नजदीक आने पर उन्होंने चालक की ओर देखा जो एक लबादा ओढ़े बैठा था अंधेरे के कारण वह ज्यादा नहीं देख पाए और जैसे ही बैलगाड़ी नजदीक आई तो पूछने लगे भाई मेरी मां बहुत बीमार है क्या हम आपकी बैलगाड़ी में यात्रा कर सकते हैं, मुझे मेरी मां को काशी लेकर जाना है यह सुनकर अंदर बैठे व्यक्ति ने सिर हिलाकर हां कह दिया। वह दोनों बैलगाड़ी में बैठ गए और वह बैलगाड़ी आगे चलने लगी ।

 कुछ समय बाद योगी ने ध्यान दिया कि जंगल का रास्ता होने के बाद भी यह बैलगाड़ी इतनी आसानी से आगे कैसे बढ़ रही है तब उन्होंने बैलगाड़ी से नीचे देखा तो बैलगाड़ी के पहिए घूम ही नहीं रहे थे, वह रुके हुए थे पर गाड़ी आगे बढ़ रही थी फिर उन्होंने बैल की ओर देखा तो उनके आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा बैल बैठा हुआ था और बैलगाड़ी आगे बढ़ रही थी। फिर उन्होंने चालक की ओर देखा और पाया कि वहां सिर्फ लबादा ही था वहां कोई व्यक्ति नहीं था । तभी उनकी मां ने उनसे कहा बेटा मैं वहां पहुंच गई जहां मुझे जाना था और आगे कहीं जाने की जरूरत नहीं है, इतना कहते ही उनकी मां ने शरीर छोड़ दिया बैल, बैलगाड़ी और चालक सब विलीन हो गए । 

योगी समझ गए कि यह सब भोलेनाथ की माया थी वह वापस अपने गांव की ओर लौट आया । गांव के लोगों ने सोचा यह इतनी जल्दी कैसे लौट आया, यह अपनी मां को काशी नहीं ले गया उसे कहीं जंगल में छोड़ आया है । गांव वाले उनसे पूछने लगे तुम तो अपनी मां को काशी लेकर गए थे इतनी जल्दी वहां से कैसे आ गए, कही उस बेचारी को तुम कहीं जंगल मे छोड़ तो नही आए हो, तब योगी ने उत्तर दिया हमें वहां जाना ही नहीं पड़ा भोलेनाथ स्वयं मेरी मां को लेने आ गए, गांव वाले बोले यह क्या कह रहे हो, तब योगी ने उत्तर दिया हां मैं सत्य वचन कह रहा हूं । भोलेनाथ स्वयं मेरी मां को अपने साथ ले गए हैं अगर आप मेरी बात माने तो बहुत अच्छा और ना माने तो आपकी मर्जी । तब गांव वाले बोले अच्छा ऐसी बात है तो हमें कुछ ऐसा परिमाण दो कि हम तुम्हारी बात को सत्य माने और यह मान ले कि भोलेनाथ स्वयं तुम्हारी मां को लेने आए थे । 

तब योगी बोला मैं नहीं जानता मैंने उन्हें नहीं देखा, मुझे सिर्फ एक लबादा दिखा वहां कोई चेहरा नहीं था, वहां कुछ नहीं था, वहां सब खाली था । तभी अचानक सभी ने देखा कि यह बात बताते बताते वह योगी भी अंतर्ध्यान हो गए । और सभी गांव वाले भोलेनाथ की जय जयकार करने लग गए । 

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