भगवान शिव/भोले भंडारी के अरब सागर मे स्थित रहस्यमय मंदिर/The mysterious temple of Lord Shiva/Bhole Bhandari located in the Arabian Sea


पूरे भारत में भगवान शिव/भोले भंडारी के अनेकों मंदिर है, जिसमें से कुछ के बारे में तो हम सभी जानते हैं, लेकिन आज मैं आप को भगवान शिव के ऐसे रहस्यमय मंदिरों के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसके बारे में आपने शायद ही सुना होगा । जो अरब सागर मे स्थित है । जिनके बारे में आप जानकर हैरान हो जायेंगे ।  

1. स्तंभेश्वर महादेव मंदिर ~ 

temple of Lord Shiva/Bhole Bhandari
स्तंभेश्वर तीर्थ

यह मंदिर अरब सागर के बीच घमभीय तट पर स्थित है । 150 साल पहले खोजे गए इस मंदिर का उल्लेख महा शिवपुराण के रुद्रसंहिता में मिलता है । स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग का आकार चार फुट ऊंचा और दो फुट के व्यास वाला है । स्तंभेश्वर महादेव का यह मंदिर सुबह और शाम दिन में दो बार पल भर के लिए गायब हो जाता है और कुछ देर के बाद उसी जगह पर वापस भी आ जाता है, जिसका कारण अब अरब सागर में उठने वाले ज्वार और भाटा को बताया जाता है । जिसके कारण श्रद्धालु मंदिर के शिवलिंग के दर्शन तभी कर सकते हैं जब समुद्र की लहरें पूरी तरह शांत हो । ज्वार के समय शिवलिंग पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है, यह प्रक्रिया प्राचीन समय से ही चली आ रही है । यहाँ आने वाले सभी श्रद्धालुओं को एक खास पर्चे बांटे जाते हैं, जिनमें ज्वार भाटा आने का समय लिखा होता है ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना ना करना पड़े । इसके अलावा स्तंभेश्वर महादेव मंदिर से एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है ~ कथा के अनुसार राक्षस तारकासुर ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की । एक दिन शिवजी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा, उसके बाद वरदान के रूप में तारकासुर ने शिव से मांगा कि उसे सिर्फ शिवजी का पुत्र ही मार सकेगा और वो भी छ: दिन की आयु का होना चाहिए । शिवजी ने यह वरदान तारकासुर को दे दिया और अंतर्ध्यान हो गए । वरदान मिलते ही तारकासुर तीनों लोको मे हाहाकार मचाने लगा, जिससे डरकर सभी देवता गण शिव जी के पास गए । देवताओं के आग्रह पर शिवजी ने उसी समय अपनी शक्ति से श्वेतपर्वत कुंड से छ: मस्तक, चार आंख और 12 हाथ वाले एक पुत्र को उत्पन्न किया, जिसका नाम कार्तिकेय था । जिसके पश्चात कार्तिकेय ने 6 दिन की उम्र में तारकासुर का वध किया लेकिन जब कार्तिकेय को पता चला कि तारकासुर भगवान शंकर का भक्त था तो वो काफी व्यथित हो गए फिर भगवान विष्णु ने कार्तिकेय से कहा, उस स्थान पर एक शिवालय बनवा दें, इससे उनका मन शांत होगा । भगवान कार्तिकेय ने ऐसा ही किया फिर सभी देवताओं ने मिलकर वही सागर संगम तीर्थ पर विश्वनंदक स्तंभ को स्थापित किया था जिसे आज "स्तंभेश्वर तीर्थ" के नाम से भी जाना जाता है ।

2.निष्कलंक महादेव मंदिर ~ 

temple of Lord Shiva/Bhole Bhandari
निष्कलंक महादेव

यह मंदिर गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से तीन किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्थित है । रोज़ अरब सागर की लहरें निष्कलंक महादेव मंदिर के शिवलिंगों का जलाभिषेक करती है । लोग पैदल चलकर ही इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं, इसके लिए उन्हें ज्वार उतरने का इंतजार करना पड़ता है । ज्वार के समय सिर्फ मंदिर का खंभा और पताका ही नजर आता है, जिसे देखकर ये अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता कि समुद्र में पानी के नीचे भगवान महादेव का प्राचीन मंदिर भी है । निष्कलंक महादेव मंदिर महाभारत कालीन बताया जाता है । ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध में पांडवों ने कौरवों का वध कर युद्ध जीता था पर युद्ध समाप्ति के बाद पांडवों को ज्ञात हुआ कि उन्होंने अपने ही सगे संबंधियों की हत्या कर महापाप किया है । इस महापाप से छुटकारा पाने के लिए पांडव भगवान श्रीकृष्ण के पास गए जहाँ श्रीकृष्ण ने पांडवों को पाप से मुक्ति के लिए एक काली ध्वजा और एक काली गाय सौंपी और पांडवों को गाय का अनुसरण करने को कहा और कहा कि जब गाय और ध्वजा का रंग काले से सफेद हो जाए तो समझ लेना कि तुम सब को पाप से मुक्ति मिल गई है । साथ ही श्रीकृष्ण ने पांडवों से ये भी कहा कि जिस जगह ये चमत्कार होगा वही पर तुम भगवान शिव की तपस्या भी करना । पांचों भाई भगवान श्रीकृष्ण के कहे अनुसार काली ध्वजा हाथ में लिए काली गाय के पीछे पीछे चलने लगे । इसी क्रम में वो सब कई दिनों तक अलग अलग जगहों पर गए, लेकिन गाय और ध्वजा का रंग नहीं बदला, पर जब वो सब वर्तमान गुजरात में स्थित कोलियाक तट पर पहुंचे तो गाय और ध्वजा का रंग सफेद हो गया । इससे पांचों पांडव भाई बड़े खुश हुए और वहीं पर भगवान शिव का ध्यान करते हुए तपस्या करने लगे । भगवान भोलेनाथ उनकी तपस्या से खुश हुए और पांचों पांडवों को लिंग रूप में अलग अलग दर्शन दिए । वहीं पांचों शिवलिंग अभी भी वही स्थित है । पांचों शिवलिंग के सामने नंदी की प्रतिमा भी है । पांचों शिवलिंग एक वर्गाकार चबूतरे पर बने हुए हैं तथा यह कोलियाक समुद्र तट से पूर्व की ओर तीन किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्थित है । इस चबूतरे पर एक छोटा सा पानी का तालाब भी है, जिसे पांडव तालाब कहते हैं । श्रद्धालु पहले इस तालाब मे अपने हाथ पांव धोते थे और फिर शिवलिंगों की पूजा अर्चना करते थे । चूंकी यहाँ पर आकर पांडवों को अपने भाइयों की हत्या के कलंक से मुक्ति मिली थी इसीलिए इस महादेव मंदिर को निष्कलंक महादेव कहते हैं ।

ऐसा कौन सा मंदिर है जो दिन में दो बार गायब हो जाता है? ~

भारत मे ही ऐसे भगवान महादेव के रहस्यमय मंदिर स्थित है जो दिन मे सुबह- शाम दो बार गायब/जलमग्न हो जाते है, मुख्यत स्तंभेश्वर महादेव मंदिर ,निष्कलंक महादेव मंदिर मे स्थित शिवलिंग ही है । यह अरब सागर मे आने वाले ज्वार-भाटा के अरब सागर मे गायब हो जाते है तथा जब अरब सागरीय लहरे शांत होती है तो पुन: दिखाई देने लगते है ।

हर हर महादेव ।

जय स्तंभेश्वर महादेव की ।

जय निष्कलंक महादेव की ।

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