काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग/मंदिर के रहस्यमय तथ्य/Mysterious facts about Kashi Vishwanath Jyotirling/Temple

 

Kashi Vishwanath Jyotirling/Temple
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग/मंदिर


काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग/मंदिर के इतिहास के बारे में ~ 

इस मंदिर का उल्लेख कई पुराणो में भी मिलता है विशेषकर शकंद पुराण में जो हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन प्राणों में से एक है । प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण लगभग 1780 में मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था ।

काशी विश्वनाथ मंदिर को कई मुस्लिम शासकों द्वारा गंभीर क्षति पहुंचाई गई थी जैसे 1194 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने और 1669 ईस्वी में औरंगजेब ने इसे नष्ट कर दिया था । वर्ष 1742 ईस्वी में मराठा शासक मलारराव होल्कर ने ध्वस्त हो चूके हैं काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की योजना बनाई थी, परंतु उनकी यह योजना लखनऊ के नवाबों के हस्तक्षेप के कारण विफल हो गई थी । लगभग 1750 ईस्वी के आसपास जयपुर के महाराजा ने काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए काशी में भूमि खरीदने के उद्देश्य से एक सर्वेक्षण आरंभ कर दिया था परंतु मंदिर के पुनर्निर्माण की उनकी योजना बाहरी हस्तक्षेप के कारण विफल हो गई थी ।

काशी विश्वनाथ मंदिर पर आक्रमण ~

वर्ष 1194 ईस्वी में हुए एक युद्ध में दिल्ली सल्तनत के साथ साथ कुतुबुद्दीन ने कन्नौज के राजा मोहम्मद गौरी को हरा दिया था, जिसके बाद कुतुबुद्दीन ऐबक की सेना ने वाराणसी के कई मंदिरों को नष्ट करना आरंभ कर दिया, जिसमें प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर का मूल रूप पूर्णतय नष्ट हो गया था । इस मंदिर को सुल्तान इल्तुतमीस शासनकाल के दौरान एक गुजराती व्यापारी ने पुनर्निर्मित करवाया था, परंतु इसे पुन: हुसैनशाह सारकी और सिकंदर लोधी के शासनकाल में ध्वस्त कर दिया गया था । मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में इस मंदिर को राजा मान सिंह ने पुन: बनवाने की कोशिश की थी, परंतु हिंदुओं ने उनका विरोध करना आरंभ कर दिया था क्योंकि राजा मान सिंह ने अपनी पुत्री का विवाह मुगलों के कुल में कर दिया था । वर्ष 1585 में राजा टोडरमल ने इस मंदिर को फिर से बनवाया था । वर्ष 1669 में मुगल सम्राट औरंगजेब ने काशी के कई मंदिरों को नष्ट कर वहाँ पर ज्ञानवापी मस्जिद को बनवा दिया था मंदिर के अवशेष आज भी मस्जिद के पीछे के हिस्से में देखे जा सकते हैं ।

बनारस में कौन सा ज्योतिर्लिंग है? ~

बनारस/वाराणसी मे महादेव के 12 ज्योतिर्लिगो मे से एक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग यहां बनारस मे भी स्थित है, उस ज्योतिर्लिंग का नाम "काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग" है । बनारस मे गंगा किनारे अनेक मोक्ष घाट बने हुए है, इनमे से सबसे महत्वपूर्ण व व्यस्ततम घाट मणिकर्णिका घाट है ।

काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया था? ~

 लगभग 1780 में अहिल्याबाई होलकर ने मस्जिद के समीप वर्तमान मंदिर का निर्माण करवाया था, जिसके बाद इस मंदिर की देखरेख पांड्या/महंत के वंशानुगत समूह द्वारा की जाने लगी थी । वर्ष 1900 के अंदर महंत देवीदत्त के दामाद पंडित विश्वेश्वर दयाल तिवारी ने मंदिर के प्रबंधन के लिए मुकदमा दायर किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें मंदिर का मुख्य पुजारी घोषित कर दिया गया था । 

काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में रोचक तथ्य/काशी विश्वनाथ का रहस्य ~

 काशी विश्वनाथ का भव्य मंदिर हिंदू देवता भगवान शिव को समर्पित है । भगवान शिव की आराधना इस मंदिर में लिंग के रूप में की जाती है । यहाँ पर स्थित शिवलिंग जिसकी उँचाई 60 सेंटीमीटर है और वह शुद्ध चांदी के 90 सेंटीमीटर की परिधि वाले योनी से घिरा हुआ है । वर्ष 1858 ईस्वी में ग्वालियर राजा के मराठा शासक दौलतराव सिंधिया की पत्नी बाईजा बाई ने ज्ञानवापी परिसर में 40 से अधिक खंभे के साथ एक छत वाले तरु माला का निर्माण करवाया था । लगभग 1833 से 1840 ईस्वी के दौरान काशी में ज्ञानवापी कुआं घाट और अन्य नजदीकी मंदिरों का निर्माण करवाया गया था । काशी विश्वनाथ मंदिर के स्तंभ/खंभे वाले परिसर मे एक सात फुट ऊंची नंदी बैल की पत्थर से बनी हुई मूर्ति स्थित है जो की नेपाल के राजा द्वारा इस मंदिर को उपहार के रूप में दी गई थी । इस भव्य मंदिर के ऊपर जो गुम्बद बना हुआ है वह शुद्ध सोने से बनाया गया है ।

हर हर महादेव ।

जय काशी विश्वनाथ की ।

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