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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग |
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास ~
आज हम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिग के बारे में बात करेंगे, जो कि आंध्र प्रदेश में स्थित है । मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंगों भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, यह सभी ज्योतिर्लिंगों में सबसे ज्यादा अद्वितीय इसलिए है क्योंकि यहाँ भगवान शिव और माता पार्वती दोनों ही मौजूद है ।
श्रीशैलम में सती का कौन सा भाग गिरा था? ~
मल्लिकार्जुन 52 शक्तिपीठों में से भी एक है, यहीं पर माता सती के होंठ का ऊपरी हिस्सा गिरा था ।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कहा है ~
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंगों आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में है तथा मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिग श्रीशैल पर्वत पर विराजमान हैं और यह कृष्णा नदी के तट पर स्थित है । दोस्तों मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिग को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है । अनेक धर्म ग्रंथों में स्थान की महिमा बताई गई है, महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्व मेघ यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है । दोस्तों, कुछ ग्रंथों में तो यहाँ तक लिखा है कि श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से दर्शकों को सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते है ।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कहानी क्या है? ~
दोस्तों कहा जाता है कि जब शर्त के अनुसार भगवान कार्तिक के विवाह के लिए जब पूरे पृथ्वी का चक्कर लगाकर आते हैं तो भगवान गणेश का विवाह पूर्ण देख कर नाराज हो जाते हैं और क्रोंच पर्वत पर चले जाते है । जब कार्तिकेय को मनाने के लिए भगवान शिव और पार्वती क्रौंच पर्वत पर जाते हैं तो उनके आगमन की खबर के कारण कार्तिक के 36 किलोमीटर दूर चले जाते हैं । तब शिव क्रोंच पर्वत पर ज्योतिर्लिङ्ग के रूप में प्रकट हो जाते हैं और तभी से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिग के नाम से वहाँ पर पर प्रसिद्ध हुए । दोस्तों मल्लिकार्जुन मंदिर की दीवार पर लिखी कहानी के अनुसार चंद्रवती नामक एक राजकुमारी थी, जो जन्म से ही शाही ठाठ से रहती थी । परंतु चंद्रवती ने सब कुछ त्याग कर अपना जीवन तपस्या में बिताने लगी थी और वो कदाली जंगल में ध्यान लगाए हुए थी कि उन्हें कुछ महसूस हुआ, उन्होंने देखा कि कपिला गाय बेल वृक्ष के पास खड़ी है और अपने दूध से वहाँ के स्थान को धो रही थी । ऐसा हर दिन होता था और वो देखती थी और वहाँ पर जाकर जब देखा और वहाँ की खुदाई की तो वहाँ पर शिवलिंग प्राप्त हुआ । दोस्तों चंद्रवती भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थीं और जब उनका अंत समय आया तो कहते है की वो हवा के साथ कैलाश में उड़ गयी थी और उन्हें मोक्ष मिल गया था ।
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