भगवान शिव का नोवें ज्योतिर्लिङ्ग वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में तथ्यात्मक जानकारी/Factual information about Vaidyanath Jyotirlinga, the ninth Jyotirlinga of Lord Shiva

  

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग/Vaidyanath Jyotirlinga
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग/मंदिर

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में  ~

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग/मंदिर झारखंड के देवघर में स्थित है । देवघर का शाब्दिक  अर्थ है "देवी देवताओं का निवास स्थान" ।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंगों है जहाँ शिव और शक्ति एक साथ विराजमान है तथा यहीं पर माँ सती का हृदय कटकर गिरा था इसलिए इसे "ह्रद पीठ" भी कहते  हैं ।  वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को "मनोकामना लिंग" भी कहते हैं, क्योंकि यहाँ पर मांगी गई मनोकामनाएं अवश्य ही पूर्ण होती है । मान्यता है की वैद्यनाथ ज्योतिर्लिङ्ग राक्षसराज रावण ने कैलाश पर्वत पर तपस्या के बाद शिव से वरदान स्वरुप प्राप्त किया था, रावण इस लिंक को लंका ले जाना चाहता था पर शिव के शर्तों के अनुसार इस लिंग को जमीन पर रखने के कारण यह वही पर विराजमान हो गया । गुस्से में रावण इस लिंक पर अपना अंगूठा दबा दिया था जिस कारण लिंक जमीन के अंदर धंस गया । वैद्यनाथ ज्योतिर्लिग सिर्फ 11 उँगली ऊपर है बाकी सब जमीन में धंसा हुआ है । शिव और शक्ति के इस मिलन स्थल पर ज्योतिर्लिङ्ग की स्थापना खुद देवी देवताओं ने की थी । शिव पुराण और पद्म पुराण के पाताल खंड में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की महिमा गायी गई है । सावन के महीने में यहाँ पर मेला लगता है भक्त दूर दूर से आकर यहाँ गंगा जल अर्पित करते हैं । भक्त गंगाजल 105 किलोमीटर दूर सुल्तानपुर से लाते हैं । भगवान श्रीराम और हनुमान जी ने भी वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की सावन मास के दौरान यहाँ कांवड़ यात्रा की थी । 

असली वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग कौन सा है? ~

बाबा वैद्यनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है इसे "बाबाधाम" के नाम से भी जाना जाता है । यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से नौवां ज्योतिर्लिङ्ग है और ये सबसे पवित्र ज्योतिर्लिङ्ग है । 

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के झारखंड राज्य मे देवघर स्थान पर अवस्थित है ।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैसे हुई? ~

वैद्यनाथ मंदिर की स्थापना 1596 में की गई थी । सर्वप्रथम इस खोए हुए शिवलिंग को बेजु नामक आदमी ने देखा था, जिसके कारण इसका नाम वैद्यनाथ मंदिर रखा गया । वैद्यनाथ ज्योतिर्लिग की ऐसी प्रसिद्धि है कि इस ज्योतिर्लिंग की लगातार आरती दर्शन करने से लोगों को रोगों से मुक्ति मिलती है । 

बाबा बैद्यनाथ धाम कब जाना चाहिए? ~

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु हर रोज़ हजारों भक्त आते हैं पर सावन के महीने में यहाँ लाखों वक्त हर रोज़ आते हैं । अतः सावन माह (जुलाई-अगस्त) मे यहां अवश्य ही जाना चाहिए ।

रावण ने किस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी? ~  

पुराणिक मान्यताओ के अनुसार वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना रावण के कारण ही हुई थी ।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर की विशेषता ~

इस मंदिर की मुख्य विशेषताए यह है कि यह किसी भी द्वादशज्योतिर्लिंग(12) से यह अलग है । वैद्यनाथ मंदिर के शीर्ष पर त्रिशूल नहीं बल्कि पंचशूल है, जिसे शिवरात्रि व सावन के अवसर पर पूजा और स्पर्श के लिए उतार दिया जाता है ।  वैद्यनाथ मंदिर परिसर में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के अलावा कुल 22 मंदिर भी बने हुए हैं । इस ज्योतिर्लिङ्ग पर भगवान के जलाभिषेक के बाद बाबा बासुकीनाथ मंदिर में जरूर जाना चाहिए हैं । वैद्यनाथ मंदिर के पास मे एक तालाब स्थित है, जिसमें तीर्थ यात्री स्नान के बाद बाबा को जल चढ़ाते हैं। इसी तालाब के निकट एक और तालाब है जिसमे कोई स्नान नही करता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह तालाब रावण के मुत्र त्याग के कारण बना है । वैद्यनाथ मंदिर मे आने वाले नव-दम्पति या शादी के बाद पहली बार आने वाले दम्पति जोड़ा बिना गठबंधन की रस्म कराये यहां से वापस नही जाते है ।

बैजनाथ ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे ~ 

बैजनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए यहाँ पर सभी सुविधाएं उपलब्ध है । यहाँ आप अन्य स्थानो से भी आसानी से पहुँच सकते है ,वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग/मंदिर के सबसे निकटतम हवाई अड्डा रांची है तथा सबसे निकटतम रेलवे-स्टेशन जसीडीह है ।

जय बाबा भोलेनाथ की ।

जय बाबा वैद्यनाथ की ।

जय बाबा बासुकीनाथ की ।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ