महादेव के चोथे ज्योतिर्लिङ्ग ओंकारेश्वर व ममलेश्वर ज्योतिर्लिंगों के बारे में/About Omkareshwar and Mamleshwar Jyotirlingas, the fourth Jyotirlinga of Mahadev

   

ओंकारेश्वर व ममलेश्वर ज्योतिर्लिङ्ग

ओंकारेश्वर व ममलेश्वर ज्योतिर्लिंगों के बारे में


महादेव के चोथे ज्योतिर्लिङ्ग ओंकारेश्वर व ममलेश्वर ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानकरी ~

आज हम बात करेंगे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंगों के बारे में, जो कि मध्यप्रदेश में स्थित है । दोस्तों ओंकारेश्वर मंदिर एक हिंदू शिव मंदिर है जो मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है । ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के बीच मंधाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है । यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिङ्ग है । यह यहाँ के मोटका गांव से लगभग 12 मील यानी की 20 किलोमीटर दूर बसा हुआ है, ओंकारेश्वर मंदिर  नर्मदा नदी के मध्य ओंमकार पर्वत पर स्थित है यह द्वीप हिंदू पवित्र चिन्ह ओम(ॐ) के आकार में बना हुआ है, यहाँ दो मंदिर स्थित है- ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ।

ज्योतिर्लिंग ममलेश्वर किस प्रसिद्ध स्थान पर स्थित है? ~


ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिङ्ग दोनो एक ही मंदिर मे स्थित है तथा यह ज्योतिर्लिङ्ग मध्यप्रदेश मे नर्मदा के किनारे स्थित है ।


ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई? ~

ओंकारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ है । यह नर्मदा नदी भारत की पवित्र नदियों में से एक है और अब इस पर विश्व का सर्वाधिक बड़ा बांध परियोजना का निर्माण भी पुरा हो गया है इस बांध का नाम- सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर"सरदार सरोवर बांध" रखा गया है । जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ, वेद का पाठ इसके उच्चारण के बिना नहीं होता है ।

ओंकारेश्वर में कितने मंदिर है? ~

इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है इसमें 68 तीर्थ है, यहाँ 33 कोटि देवता परिवार सहित निवास करते हैं तथा दो ज्योतिस्वरूप लिंगों सहित 108 प्रभावशाली शिवलिंग है ।


12 ज्योतिर्लिंग में मामलाेश्वर है? ~

 मध्यप्रदेश में देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से दो ज्योतिर्लिङ्ग विराजमान है । एक उज्जैन के महाकाल के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ममलेश्वर यानी की अमलेश्वर के रूप में विराजमान है । दोस्तों देवी अहिल्याबाई होलकर की ओर से यहाँ नित्य मृतिका के 18 सहस्त्र शिवलिंग तैयार कर उनका पूजन करने के पश्चात उन्हें नर्मदा में विसर्जित कर दिया जाता है । 


ओंकारेश्वर की कथा ~

ओंकारेश्वर नगरी का मूल नाम मान्धाता हैं । राजा मान्धाता ने यहाँ नर्मदा नदी के इस पर्वत पर घोर तपस्या कर भगवान शिवजी को प्रसन्न किया और शिवजी के प्रकट होने पर उनसे यहीं निवास करने का वरदान मांग लिया तभी से उक्त प्रसिद्ध तीर्थ नगरी ओंकार मान्धाता के रूप में पुकारें जाने लगी । नर्मदा क्षेत्र के ओंकारेश्वर सर्वश्रेष्ठ तीर्थों में से एक है । शास्त्रो में मान्यता है कि यदि कोई तीर्थयात्री देश के भले ही सारे तीर्थ कर ले किन्तु जब तक वह ओंकारेश्वर आकर किए गए तीर्थों का जल लाकर यहाँ पर नहीं चढ़ाता, उसके सारे तीर्थ अधूरे ही माने जाते हैं । दोस्तों ओंकारेश्वर तीर्थ के साथ नर्मदाजी का भी विशेष महत्त्व है । शास्त्र मान्यता के अनुसार जमुना जी मैं 15 दिन तक स्नान तथा गंगा जी में 7 दिन का स्नान जो फल प्रदान करता है उतना पुण्यफल नर्मदा जी के दर्शन मात्र से प्राप्त किया जा सकता है । ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र में 24 अवतार के मंदिर भी दर्शनीय है । इस मंदिर में शिव भक्त कुबेर जी ने तपस्या की थी तथा शिवलिंग की स्थापना की थी ।

ओंकारेश्वर की विशेषता क्या है? ~

 इस मंदिर पर प्रतिवर्ष दिवाली की बारस की रात को ज्वार चढ़ाने का विशेष महत्त्व है  तथा इस रात्रि पर जागरण भी किया जाता है । दोस्तों ममलेश्वर भी ज्योतिर्लिङ्ग है यह अहिल्याबाई द्वारा बनवाया गया है । ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव की गुप्त आरती की जाती है जहाँ पुजारियों के अलावा कोई भी गर्भगृह में नहीं जा सकता । ओंकारेश्वर ही एकमात्र ज्योतिर्लिङ्ग है जहाँ महादेव शयन करने आते हैं 

हर हर महादेव ।


जय ओंकारेश्वर महादेव की ।


जय ममलेश्वर महादेव की ।

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