महादेव के पांचवे ज्योतिर्लिग केदारनाथ ज्योतिर्लिग के बारे/About Kedarnath Jyotirling, the fifth Jyotirling of Mahadev

 

केदारनाथ ज्योतिर्लिग
केदारनाथ ज्योतिर्लिग



केदारनाथ मंदिर का इतिहास क्या है?/केदारनाथ ज्योतिर्लिग के बारे में ~

 आज हम केदारनाथ ज्योतिर्लिग के बारे में बात करेंगे । केदारनाथ ज्योतिर्लिग/मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है । केदारनाथ मंदिर हिमालय पर्वत की गोद में स्थित है । केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में सम्मिलित होने के साथ-साथ चारधाम और पंच केदार में से भी एक है । यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मंदिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है । 

शिव पुराण में कहा गया है कि केदारनाथ में जो तीर्थयात्री जाते हैं उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है और अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है ।

केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया है? ~

ऐसी मान्यता है कि पांडवों के वंशज ने यहाँ केदारनाथ मंदिर बनवाया था उसी मंदिर के पास आठवीं सदी में शंकराचार्य जी ने वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, यानी कि आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा बनवाए गए आज के केदारनाथ मंदिर से पहले यहाँ पर शिव की पूजा होती थी ।


केदारनाथ मंदिर का नाम कैसे पड़ा? ~

केदारखंड की एक कथा बहुत प्रचलित है ~ नारायण की प्रार्थना पर भगवान शिव ने केदारखंड में निवास करने का वरदान दिया । यहाँ केदार नामक राजा शासन करते थे उन्हीं के नाम पर यह क्षेत्र केदारखंड के नाम से जाना जाता है । राजा केदार भगवान शिव के भक्त थे राजा की प्रार्थना पर भगवान शिव ने केदार खंड का रक्षक बनना स्वीकार किया और भगवान शिव केदारनाथ कहलाने लगे  ।


पांडव केदारनाथ क्यों गए थे? ~

 यह भी कहा जाता है कि महाभारत युद्ध जीतने के बाद पांडवों पर परिवार के लोगों की हत्या का दोष लग गया था और पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे । 

केदारनाथ शिवलिंग के पीछे क्या कहानी है? ~

पांडव भगवान शिव को खोजते हुए हिमालय पहुंचे, पांडवों से नाराज भगवान शिव ने उन्हें दर्शन नहीं देने हेतु  वो बेल बन गए, लेकिन पांडवों ने शिव को पहचान लिया और भीम ने बैल बने शिव जी का कूल्हा पकड़ लिया । बेल बने शिव जी का वही खुला शिवलिंग के रूप में प्रकट हो गया । यही एक कारण है कि आज भी पशुपतिनाथ मंदिर में बेल के अगले तथा केदारनाथ में पिछले हिस्से की पूजा की जाती है । केदारनाथ के बारे में एक खास बात लिखी है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है उसकी यात्रा सफल नहीं मानी जातीं । वैज्ञानिकों के अनुसार केदारनाथ मंदिर 400 साल तक बर्फ़ के नीचे दबा था लेकिन फिर भी उसे कुछ नहीं हुआ । 2013 में 16-17 जून को आई बाढ/आपदा के समय केदारनाथ मंदिर में कई चमत्कार भी हुए । एक बड़ा पत्थर मंदिर के पीछे पानी के साथ आया और मंदिर से थोड़ी सी दूरी पर मंदिर के पीछे रुक गया । जब पानी और मलबे का तेज बहाव आया तो उस चट्टान ने बहाव को मंदिर के दोनो तरफ मोड़ दिया और मंदिर को आंच तक नहीं आने दिया । इस चमत्कार के बाद उस चट्टान का नाम भीम शिला रख दिया गया । मंदिर के जगमोहन में द्रौपदी सहित पांचों पांडवों की विशाल मूर्तियां हैं । मंदिर के पीछे कई कुण्ड है, जिनमें आचमन तथा तर्पण किए जा सकते हैं ।


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