पोंगल त्योहार तथा मकर संक्रांति त्योहार भारत के साथ साथ इन देशो मे भी मनाया जाता है/Pongal festival and Makar Sankranti festival are celebrated in these countries along with India.

 

पोंगल त्योहार तथा मकर संक्रांति त्योहार
पोंगल त्योहार तथा मकर संक्रांति त्योहार


पोंगल का त्योहार/Pongal festival मनाने का महत्त्व ~

 पोंगल दक्षिण भारत के प्रमुख राज्यों तमिलनाडु के साथ-साथ केरल,आंध्र प्रदेश में  भी मनाए जाने वाला हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है । जिस प्रकार से उत्तर भारत में भगवान सूर्य के उत्तरायण होने पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, उसी प्रकार दक्षिण में पोंगल का त्योहार मनाया जाता है । मकर संक्रांति और लोहड़ी की ही तरह से ये भी मुख्य रूप से किसानों का प्रमुख पर्व है । इस त्योहार का इतिहास हजारों साल पुराना है आइए जानते हैं कब हुई पोंगल की शुरुआत और यह प्रमुख त्योहार कैसे मनाया जाता है । इस त्यौहार को आस्था और संपन्नता से जुड़ा एक पर्व माना जाता है, जिसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा और धूप की आराधना की जाती है ।


कौन सा देश भारतीयों की तरह पोंगल भी मनाते हैं ~

 भारत के अलावा इसे श्रीलंका, मॉरीशस, अमेरिका, कनाडा और सिंगापुर में भी विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है । पोंगल का महत्त्व इसलिए भी है क्योंकि यह तमिल महीने की पहली तारीख को आरंभ होता है । 

क्या पोंगल एक हिंदू त्योहार है ~

पोंगल त्यौहार मुख्यत:- तमिलनाडु मे मनाया जाने वाला त्यौहार है, जो 4 दिनो तक मनाया जाता है ।

पोंगल हिंदू त्योहार ही है, क्योकि मकर संक्रांति को ही दक्षिण मे पोंगल त्यौहार के रूप मे  14 जनवरी  से ही मनाते है। मकर संक्रांति हिंदू त्योहार है ।

पोंगल का तमिल में अर्थ है ~ 

"उफान या फिर विप्लव" ,पोंगल के दिन सूर्य भगवान को जो भोग लगाया जाता है वो पगल कहलाता है और तमिल भाषा में इसका अर्थ होता है अच्छी तरह से उबालना । चावल, दूध, घी, शक्कर को एक साथ उबालकर भोजन तैयार कर सूर्यदेव को भोग लगाते हैं ।

पोंगल के दिन क्या क्या नया होता है ~

 पोंगल पर्व के पहले दिन कूड़ा कचरा जलाया जाता है और दूसरे दिन माता लक्ष्मी की पूजा होती है और तीसरे दिन पशुधन की पूजा की जाती है । यह पर्व जनवरी माह के मध्य में पड़ने वाले तमिल महा तई की पहली तारीख को मनाया जाता है उसी दिन से तमिल नववर्ष की भी शुरुआत होती है । इस दौरान जलीकट्टू(बैलो की दोङ) का भी आयोजन होता है । तमिल मान्यताओं के अनुसार पोंगल को मनाने से जुड़ी पौराणिक कथा भगवान शिव से संबंधित है । मट्टू भगवान शंकर का बैल है जिससे एक भूल के कारण भगवान शंकर ने पृथ्वी पर भेज दिया और कहा कि वो मानव जाति के लिए अन्न पैदा करे, तब से मट्टू पृथ्वी पर रहकर कृषि कार्य में सहायता कर रहा है । इस दिन किसान अपने बैलों को स्नान कराते हैं, उनके सींगों में तेल व रंग लगाते हैं एवं अन्य प्रकार से बैलों को सजाते है और फिर उनकी पूजा की जाती है । बैल के साथ इस दिन गाय और बछड़ों की भी पूजा की जाती है । 

पोंगल में क्या खास है ~

दक्षिण भारत में पोंगल से ही तमिल नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है, यहाँ लोग अपने घरों को फूल और आम के पत्तों से सजाते हैं, मुख्य द्वार पर रंगोली बनाते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं और एक दूसरे के घर पोंगल और मिठाई भिजवाते है तथा रात्रि के समय लोग सामूहिक भोग का आयोजन करते हैं और एक दूसरे को मंगलमय नववर्ष की शुभकामना देते हैं ।

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