जाने ब्रह्माजी, विष्णु जी , शिवजी की आयु तथा साथ ही इनके पिता व जन्म का इतिहास/Know the age of Brahmaji, Vishnuji, Shivji as well as the history of their father and birth.


ब्रह्माजी, विष्णु जी,शिवजी

ब्रह्माजी,विष्णु जी,शिवजी की आयु


मित्रों, हिंदू धर्म में ब्रह्मा जी को सृष्टि का सर्जक, विष्णु जी को पालक और महेश जी(शिव) को विलय करने वाले देवता माना गया है । पूरा संसार इन तीनों को अमर मानता है लेकिन गीता के अध्याय आठ के श्लोक 16 में स्पष्ट है कि ब्रह्मलोक पर्यत सभी लोग जन्मते-मरते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि इनकी उम्र कितनी है ।

 नमस्कार दर्शकों स्वागत है आपका Chandraoudai पर एक बार फिर से, गीता अध्याय 15 के श्लोक एक दोहे में बताया गया है कि संसार एक वृक्ष रूपी है, इसकी मूल तो मैं स्वयं हूँ यानी परम अक्षर पुरुष हैं तथा तना अक्षर पुरुष हैं, उस तने से मोटी डाल निकलती है जो सह पुरुष हैं उस डाल से तीन शाखाएँ निकलती है इन तीन शाखाओं को रज गुण ब्रह्मा, सद्गुण विष्णु तथा तम गुण शिव कहा है । 


ब्रह्माजी,विष्णु जी,शिवजी की आयु ~ 

1. रजगुण ब्रह्माजी की आयु ~

 ब्रह्मा जी का 1 दिन 1000 चतुर्थ युग का है तथा इतनी ही रात है । एक चतुर्युग में 43,20,000 मानवों वाले साल होते है, एक महीना 30 दिन रात का है, 1 साल 12 महीनों का है तथा 100 साल की ब्रह्मा जी की आयु है यानी जो 7,20,00,000 चतुर्युग की है । 

2. सतयुग विष्णु जी की आयु ~

 आयु की बात करें तो भगवान ब्रह्मा जी की आयु से सात गुना अधिक श्री हरि जी की आयु है अर्थात 50,40,00,000 चतुर्युग की श्री नारायण की आयु है ।

3. तम गुण शिवजी की आयु ~

 भगवान शिवजी की आयु श्री हरी जी की आयु से  सात गुना अधिक है अर्थात तीन अरब 52,80,00,000 चतुर्युग की शिवजी की आयु है ।  

ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पिता ~ 

वेदों में लिखा है कि जो जन्मा या प्रकट है, वह ईश्वर नहीं हो सकता, ईश्वर अजन्मा अप्रकट और निराकार है । वास्तविक में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कथा को भगवान शिव के भक्तों ने शिव को आधार बनाकर लिखा, तो भगवान विष्णु के भक्तों ने भगवान विष्णु को आधार बनाकर लिखा । कई ग्रंथों में ऐसा कहा जाता है कि जब एक बार भगवान महादेव से पूछा गया कि आपके पिता कौन हैं तो भगवान महादेव ने जगत गुरु ब्रह्मा का नाम लिया और जब पूछा गया कि ब्रह्मा के पिता कौन हैं तो उन्होंने भगवान विष्णु का नाम लिया और जब उनसे पूछा गया कि भगवान विष्णु के पिता कौन हैं तो उन्होंने कहा कि मैं स्वयं । लेकिन शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म ही सत्य है, वही परमेश्वर है । 


ब्रह्मा, विष्णु, महेश/शंकर जी का जन्म ~

1.शंकर जी का जन्म ~ 

जिस समय सृष्टि में अंधकार था, ना जल था, ना अग्नि और ना ही वायु थी तब केवल तत्सत ब्रह्म ही थे जिसे श्रुति में सत् कहा गया है । सत् अर्थात अविनाशी परमात्मा है उस परब्रह्म काल ने कुछ समय के बाद द्वितीय होने की इच्छा प्रकट की और उसके भीतर एक से अनेक होने का संकल्प उदित हुआ, तब उस परमात्मा ने अपनी लीला शक्ति से आकार की कल्पना की जो मूर्तिरहित परंब्रह्म है । परंब्रह्म अर्थात एकाक्षर ब्रह्म और वह परंब्रह्म भगवान सदाशिव हैं, प्राचीन ग्रंथ उन्हीं को ईश्वर मानता है । सदाशिव ने अपने शरीर से शक्ति की सृष्टि की जो उनके अपने अंग से कभी अलग होने वाली नहीं थी । वह शक्ति अम्बिका कही गई, शक्ति की देवी ने ही लक्ष्मी, सावित्री और पार्वती के रूप में जन्म लिया और ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था । कालरूपी सदाशिव ने शक्ति के साथ शिवलोक नामक क्षेत्र का निर्माण किया उस उत्तम क्षेत्र को आज काशी के नाम से जाना जाता है, जिसे मोक्ष का स्थान भी कहा गया है ।


2.विष्णु जी का जन्म ~

 यहाँ काल रूपी ब्रह्म, सदाशिव और दुर्गा पति पत्नी के रूप में निवास करते हैं । काशीपुरी के इस आनंद रूप वन में रमण करते हुए एक समय शिव को यह इच्छा उत्पन्न हुई कि किसी दूसरे पुरुष की सृष्टि करनी चाहिए, जिस पर सृष्टि निर्माण का कार्यभार रखकर शक्ति सहित परमेश्वर रूपी शिव ने अपनी वामांग पर अमृत मल दिया । फिर वहाँ से एक पुरुष प्रकट हुआ शिव ने उस पुरुष से संबोधित करते हुए कहा, वत्स  व्यापक होने के कारण तुम विष्णु के नाम से जाने जाओगे । इस प्रकार शिवपुराण के अनुसार विष्णु के माता और पिता शिव और पराशक्ति दुर्गा है । 


3.ब्रह्मा जी का जन्म ~ 

शिवपुराण के अनुसार भगवान ब्रह्मा जी नारद जी से कहते हैं कि भगवान विष्णु को उत्पन्न करने के बाद शिवजी और देवी पार्वती ने पूर्वत प्रयत्न करके मुझे ब्रह्मा जी को अपने दाहिने अंग से उत्पन्न किया और तुरंत ही मुझे भगवान विष्णु के नाभि कमल में डाल दिया  उस कमल से पुत्र के रूप में मुझ हिरण्यगर्भ का जन्म हुआ । ब्रह्मा आगे कहते हैं, मैंने उस कमल के सिवाय दूसरे किसी को जनक/पिता नहीं जाना । मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ, मेरा क्या कार्य है, मैं किस का पुत्र होकर उत्पन्न हुआ हूँ, किसने  मेरा निर्माण किया है इस संशय में पड़ा हूँ । इससे यह सिद्ध हुआ की ब्रह्मा, विष्णु और महेश के जन्मदाता कालरूपी सदाशिव और देवी पार्वती है ।

 तो मित्रों आपने जाना कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश का आयुकाल और उनसे जुड़ी कुछ अहम बातें यदि आपको पहले से किसी बात की जानकारी थी तो नीचे हमें कमेंट करके जरूर बताएं ।

जय भोलेनाथ की ।

जय विष्णु जी की ।

जय ब्रह्मा जी की ।

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