आइए जानते हैं कुंडलिनी को जागृत करने वाले सात चक्रों के बारे में तथा कुंडलिनी जागृत होने के लाभ/Let us know about the seven chakras that jaagrt Kundalini and the benefits of jaagrt Kundalini.

 

कुंडलिनी जागृत

कुंडलिनी को जागृत करने वाले सात चक्र

 

मित्रों आप सबने पौराणिक कथाओं में ऐसे ऋषि मुनियों के बारे में पढा, देखा या सुना होगा जिनके पास अद्भुत एवं अलौकिक शक्तियां थीं, जो आम इंसान की समझ से परे है । ऐसे में आपके दिमाग मे ये सवाल अवश्य आया होगा कि आखिर उनके पास ऐसा क्या था कि उन्हें सुख और दुख बराबर लगता था, वो किसी को वरदान भी देते थे तो वो सच हो जाता था और श्राप देते थे तो भी सच हो जाता था । तो मित्रों बता दें कि दरअसल वो अपनी कुंडलिनी को जागृत कर लेते थे  यानी की अपने सात चक्रों को जागृत कर लेते थे जिसके बाद एक साधारण मनुष्य के भीतर भी असाधारण शक्तियां आ जाती है और वो एक आम इंसान नहीं रहता बल्कि एक दिव्य पुरुष बन जाता है । 

  कुंडलिनी को जागृत करने वाले सात चक्रों के बारे में ~

 नमस्कार, स्वागत है आप सभी का Chandraoudai पर एक बार फिर से, मित्रों योग शास्त्र में जिन सात चक्रों के बारे में बताया गया है, वो इस प्रकार है -

1. मूलाधार चक्र ~ 

ये शरीर का पहला चक्र है । ये नाभि के नीचे स्थित होता है और इसे आधार चक्र माना गया है । 99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है । मुलाकात चक्र वो है जो भोजन और नींद के लिए तरसाता है और अगर आपने सही तरीके से इस चक्र में जागरूकता पैदा कर ली तो आप इन चीजों से पूरी तरह से मुक्त भी हो सकते हैं । इस चक्र को जागृत करने के लिए  भोग, संभोग और मुद्रा पर संयम रखना होता है, आपने कई लोगों को देखा होगा जो 100 वर्ष तक जी लेते हैं दरअसल वह लोग मूलाधार चक्र को जागृत करने वाले लोग होते हैं और अगर आपका भी यह भाव जागृत हो गया तो आपके अंदर वीरता का भाव आ जायेगा और वैसे भी सिद्धियां प्राप्त करने के लिए निर्भय होना बहुत ज़रूरी है । 

2. स्वाधिष्ठान चक्र ~

 यह चक्र जननेन्द्रिय से चार अंगुली ऊपर स्थित होता है । अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र में सक्रिय है तो आपके जीवन में मौज मस्ती एवं मनोरंजन की प्रधानता होगी आप भौतिक सुखों का भरपूर मज़ा लेने की फिराक में रहेंगे और आप जीवन में हर चीज़ का लुत्फ उठाएंगे । दर्शकों जीवन में मनोरंजन जरूरी है, लेकिन मनोरंजन की आदत नहीं क्योंकि आवश्यकता से अधिक का मनोरंजन भी व्यक्ति की चेतना को काफी प्रभावित करता है । फ़िल्म सच्ची नहीं होती लेकिन उससे जुड़कर आप जो महसूस करते हैं वो कुछ वक्त के लिए आप को सच ही लगने लगता है जिसका मतलब होता है कि आप उस फ़िल्म में पूरी तरह डूब गए थे । मित्रों जो इंसान इस चक्र को जागृत कर लेता है उसके अंदर से क्रूरता, प्रमाद यानी की फालतू की बहस में उलझना, अवज्ञा यानी कि बड़ों की आज्ञा को ना मानना और अविश्वास जैसे दुर्गुणों का नाश हो जाता है । 

3. मणिपूरक चक्र ~ 

नाभि के मूल में स्थित रक्त वर्ण का ये चक्र शरीर के अंतर्गत आने वाला मणिपुरक नाम का तीसरा चक्र है । इस चक्र में सभी नाङिया मिलती है और फिर बंट जाती है जिससे व्यक्ति की चेतना या फिर ऊर्जा यहाँ एकत्रित है उस पर काम करने की एक अजीब सी धुन सवार रहती है । ऐसे लोगों को कर्मयोगी कहा जाता है, ये लोग दुनिया का हर कार्य करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं । मित्रों जो लोग मार्शल आर्ट का अभ्यास करते हैं उनको इसे चक्र के बारे में अच्छे से पता होता है वो जानते हैं कि उनके लिए मणिपुर का चक्र को गति देना कितना महत्वपूर्ण है । इस चक्र के सक्रिय होने से लज्जा, मोह, घृणा आदि दुर्गुण भी समाप्त हो जाते हैं । 

4. अनाहत चक्र ~ 

हृदय स्थल में स्थित इस स्वर्णिम वर्ण का सुशोभित चक्र ही अनाहत चक्र कहलाता है । अगर आपकी ऊर्जा अनाहत में सक्रिय है तो आप एक सृजनशील व्यक्ति होंगे । हर्षद आप कुछ ना कुछ नया रचने की सोचते होंगे मतलब की आपका मन रचनात्मक कार्यों में खूब लगता होगा । सब बड़े चित्रकार, महान कवि और एक कहानीकार बन सकते हैं और यही नहीं मित्र अगर कोई व्यक्ति अनाहत पर महारत हासिल कर लेता है तो वह अलग अलग की ध्वनियां सुनने में भी सक्षम हो जाता है । हालांकि अब ऐसे योगी जिन्होंने अनाहत चक्र पर महारत हासिल की हो, दुर्लभ भी देखने को मिलते हैं । 


5. विशुद्ध चक्र ~

ये हमारे शरीर में गले के ऊपरी भाग और हमारे स्वर यंत्र के केंद्र में स्थित होता है । कंठ में सरस्वती का स्थान माना गया है जहाँ विशुद्ध चक्र है, सामान्य तौर पर यदि आपकी ऊर्जा इस चक्र के आसपास एकत्रित हो तो आप अति शक्तिशाली होंगे, कंठ में संयम रखें ।  ध्यान लगाने से ये चक्र जागृत होने लगता है और इसके जाग्रत होने पर 16 कलाओं और 16 विभूतियों का ज्ञान हो जाता है । इतना ही नहीं जो इंसान इसे चक्र को जागृत कर लेता है वो अपनी भूख प्यास को रोक सकता है और उसको वाणी की सिद्धि प्राप्त हो जाती है । 

6. आज्ञा चक्र ~

 अगर आपकी ऊर्जा आज्ञा में सक्रिय है या फिर आज्ञा तक अगर आप पहुँच गए हैं तो इसका मतलब है कि बौद्धिक स्तर पर आपने सिद्दी पा ली हैं । बौद्धिक सिद्धि आपको शांति देती है, आपके अनुभव में भले ही यह वास्तविक ना हो लेकिन जो बौद्धिक सिद्धि आपको हासिल हुई है वे आपके अंदर स्थिरता और शांति लाती है । आप के आसपास चाहे कुछ भी हो रहा हो या फिर कैसी भी परिस्थितियां हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता यानी की इसके जाग्रत होने पर कोई भी मनुष्य सिद्ध पुरुष की श्रेणी में आ जाता है ।  

7. सहस्त्रार चक्र ~

 यह सातवाँ और आखिरी चक्र है । एक बार इंसान की ऊर्जा सहस्त्रार तक आप पहुँच जाती है, तो वो आनंद में झूमता है । अगर आप बिना किसी कारण ही आनंद में झूमते है तो इसका मतलब है की आपकी ऊर्जा ने उसे चरम शिखर को छू लिया है, इसको जागृत कर लेने का अर्थ हुआ कि आप जीवित ही मोक्ष की स्थिति में पहुँच चूके हैं, क्योंकि हमारी शारीरिक संरचना विद्युत और जैविक विद्युत से मिलकर बनी है और अगर आपने इसे जागृत कर लिया तो समझिए मोक्ष का द्वारा आप के लिए खुल गया है । 


तो मित्रों यह थे वो सात चक्र जिनको जगा देने से एक मनुष्य भी सर्वज्ञानी बन सकता है, लेकिन इनको जागृत करना बहुत ही कठिन या फिर लगभग असंभव है, क्योंकि कुंडलिनी जागृत करने के लिए उच्च कोटि का ध्यान और साधना करनी पड़ती है परंतु आज के समय में ऐसा करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है । 

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हर हर महादेव ।

जय बजरंग बली ।

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