महादेव के ग्यारहवे रूद्र अवतार हनुमानजी को वानर रूप कैसे मिला/How Hanumanji, the eleventh Rudra incarnation of Mahadev, got the monkey form

  

हनुमानजी को वानर रूप कैसे मिला
हनुमानजी को वानर रूप कैसे मिला




आइये आज की कड़ी में जानते हैं बजरंग बली की माँ अंजनि के पूर्वजन्म की विस्तृत कथा साथ ही हम आपको बताएंगे कि भगवान श्रीराम भक्त बजरंग बली का जन्म किस प्रकार हुआ और क्यों उनको वानर रूप मिला ।

हनुमानजी को वानर रूप कैसे मिला ~

पवन पुत्र बजरंग बली की माता अंजनि अपने पूर्वजन्म में इंद्रराज के महल में अप्सरा थी । उनका नाम पुंजिकस्थला था, उनका रूप बहुत आकर्षक और स्वभाव बहुत चंचल था । एक बार चंचलता के कारण उन्होंने तपस्या में लीन एक ऋषि को वानर समझकर उनके साथ अभद्र व्यवहार किया तब ऋषि ने क्रोध में पुंजिकस्थला को श्राप दिया कि वो वानरी का रूप धारण कर लेगी । ऐसा श्राप सुनकर पुंजिकस्थला को आत्मग्लानि हुई और उसने ऋषि से क्षमा मांगकर श्राप को वापस लेने के लिए विनती की, तब ऋषि ने दया भाव से कहा कि तुम्हारा वानर रूप भी परम तेजस्वी होगा और तुम एक बहुत ही कीर्तिवान और यशस्वी पुत्र को जन्म दोगी  । तपस्या में लीन ऋषि से श्राप मिलने के पश्चात 1 दिन पुंजिकस्थला से इंद्रदेव ने मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा । तब पुंजिकस्थला ने इंद्रदेव से आग्रह किया कि यदि संभव हो तो वह उसे ऋषि द्वारा दिए गए श्राप से मुक्ति प्रदान करें । इंद्रदेव के पूछे जाने पर पुंजिकस्थला ने बताया कि मुझे प्रतीत हुआ कि वो ऋषि एक वानर है और मैंने उन ऋषि पर फल फेंकना शुरू कर दिए परंतु वो कोई साधारण वानर नहीं थे अपितु परम तपस्वी साधु थे, मेरे द्वारा तपस्या भंग होने के कारण उन्होंने मुझे श्राप दिया कि जब भी मुझे किसी से प्रेम होगा तो मैं वानर का रूप धारण कर लूँगी और मेरा ऐसा रूप होने के बाद भी उस व्यक्ति का प्रेम मेरे प्रति कम नहीं होगा । इंद्रदेव ने पूरा वृत्तांत सुनने के पश्चात कहा की तुम्हे धरती पर जाकर निवास करना होगा वहाँ तुम्हें एक राजकुमार से प्रेम होगा जो तुम्हारा पति बनेगा, विवाह के पश्चात तुम शिव के अवतार को जन्म दोगी और इसके पश्चात तुम्हें श्राप से मुक्ति मिल जाएगी । इंद्र के वचन सुनकर पुंजिकस्थला अंजनी के रूप में धरती पर निवास करने लगी । एक बार वन में उसने एक युवक को देखा जिसकी और वो आकर्षित हुई । जैसे ही उस युवक ने अंजलि को देखा, अंजनी का चेहरा वानर का हो गया अंजनी ने उस युवक से अपना चेहरा छुपाया जब युवक उसके पास आया तो अंजलि ने कहा मैं बहुत बदसूरत हूँ परन्तु जब अंजलि ने उस युवक की ओर देखा तो वो भी वानर रूप में ही था । उस युवक ने बताया कि मैं वानरराज केसरी हूँ और जब चाहूँ तब मनुष्य रूप धारण कर सकता हूँ । दोनों को एक दूसरे से प्रेम हुआ और भी विवाह के बंधन में बंध गए, कुछ समय पश्चात जब दोनों संतान सुख से वंचित रहे तब अंजनि मातंग ऋषि के पास पहुंची और अपनी पीड़ा बताई । तब मातंग ऋषि ने उन्हें नारायण पर्वत पर स्थित स्वामी तीर्थ जाकर 12 वर्ष तक उपवास करके तप करने के लिए कहा । इस प्रकार वायु देव ने अंजनी की तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान दिया की तुम्हें अग्नि, सूर्य, स्वर्ण, वेद, वेदांगों का मर्मज्ञ और बलशाली पुत्र प्राप्त होगा । यह वरदान प्राप्त होने के पश्चात वह शिवजी की तपस्या करने लगी, तब शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान मांगने के लिए कहा और फिर अंजलि ने ऋषि द्वारा मिले श्राप के विषय में बताते हुए कहा कि इस श्राप से मुक्त होने के लिए मुझे शिव के अवतार को जन्म देना है इसलिए हे महादेव कृपया आप बाल रूप में मेरे गर्भ से जन्म ले, शिवजी ने अंजनी को आशीर्वाद दिया और उनके गर्भ से बजरंग बली के रूप में जन्म लिया । हनुमान जी भगवान महादेव के ग्यारहवे रूद्र अवतार के रूप मे माता अंजना के गर्भ से जन्म लिया । अंजनीपुत्र होने के कारण हनुमान जी को आंजने भी कहा जाता है ।

जय बजरंग बली की ।

जय हनुमान जी की ।

जय भोलेनाथ  की ।

जय माता अंजना की ।

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