धर्म शास्त्रों में पांच सत्कर्मों/महापुण्यो का उल्लेख मिलता है/There is mention of five good deeds/great virtues in religious scriptures.

 

पांच सत्कर्म/महापुण्य
पांच सत्कर्म/महापुण्य



  मित्रों, हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार जो अच्छे कर्म है मनुष्य को मोक्ष की ओर ले जाएं, उन्हें पुण्य कहा जाता है और इसी मोक्ष प्राप्ति के लिए मनुष्य जीवन भर अच्छे कर्म करने की कोशिशे करता है । लेकिन आज ये कलयुग में बिना किसी धार्मिक ज्ञान के ये पता लगाना बहुत ही मुश्किल है कि कौन से कर्म करने से हमें पुण्य प्राप्त होता है, ऐसे में आज मैं आपको उन पांचों कर्मों के बारे में बताने वाला हूँ जिन्हें हमारे धर्मशास्त्रों में महापुण्य का दर्जा दिया गया है । 

 नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका Chandraoudai पर एक बार फिर से, तो मित्रों भगवान शिव ने एक श्लोक के जरिए संसार के हर मनुष्य को सबसे बड़े पाप और सबसे बड़े पुण्य की जानकारी दी है तो मित्रों शिवपुराण में मिलने वाली एक कथा के अनुसार एक बार महादेव हिमालय पर तपस्या कर रहे थे तभी माता पार्वती ने उनसे पूछा कि संसार का सबसे बड़ा पाप क्या है और किस काम को करने से सबसे बड़ा पुण्य कमाया जा सकता है । तब भगवान शिव ने उत्तर दिया था नाचती सत्या पर्व नन्नू पातन पर्व अर्थात सच बोलना और दूसरों को सम्मान देना ही सबसे बड़ा पुण्य है और हर जन्म में किए गए इस पुण्य का परिणाम ही हमें अगले जन्म में मिलता है । वहीं महादेव ने यह भी बताया कि किसी के साथ किया गया छल और बेईमानी संसार का सबसे बड़ा पाप है और जो ये बुरे कर्म करता है उसे मृत्यु के बाद नरक में भी कई तरह की यातनाओं का सामना करना पड़ता है । इसके अलावा हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसे पांच सत्कर्मों का उल्लेख मिलता है, जिन्हें महापुण्य का दर्जा प्राप्त है ।

 धर्मशास्त्रों में पांच महापुण्य ~

1. अन्न दान ~

यह सबसे पहला कर्म है जिसे महापुण्य की श्रेणी में रखा गया है । हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार अगर कोई मनुष्य में निस्वार्थ अन्न का दान करता है, किसी भूखे मनुष्य या फिर जानवर को भोजन कराता है तो वो ऐसा करके संसार का सबसे बड़ा पुण्य कर रहा है । धर्मग्रंथों के अनुसार अन्न का दान करने से ईश्वर अति प्रसन्न होते हैं लेकिन मित्रों अन्न दान करने का ये हरगिज़ मतलब नहीं है की आप भूखे को बासी या खराब भोजन कराएं । ऐसा करने से आप पुण्य नहीं बल्कि पाप के भागीदार बनते हैं, भूखे के सामने दान स्वरूप बासी भोजन रखने से आप देवी अन्नपूर्णा को क्रोधित करते हैं इसीलिए याद रखें कि हमेशा ताजा और इस साफ सुथरा खाना ही दान करें । 

2. भूमि दान ~

 धर्म शास्त्रों के अनुसार भूमि के दान में अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है । महाभारत में कहा गया है कि जो व्यक्ति किसी परिस्थिति में फंसकर पाप कर बैठता है अगर वो गाय की चमड़ी के बराबर भूमि दान करें तो वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है । आपने अक्सर सुना होगा कि पहले के राजा महाराजा खूब किया करते थे ऐसा करने के पीछे कारण ये था की राजा शासन करते समय जो पाप करता था वो उसके भूमि दान से नष्ट हो जाते थे । धर्मशास्त्रों के अनुसार भूमि दान करने से मनुष्य को कई तरह के पुण्य मिलते हैं वहीं अगर आप आश्रम, विद्यालय, भवन, धर्मशाला, प्याऊ और गौशाला आदि के निर्माण के लिए भूमि दान करते हैं तो ऐसा करके भी आप महापुण्य प्राप्त कर सकते हैं । 

3. गौ दान

जिस तरह सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है उसी तरह गौ दान को भी पांचों महापुण्य की श्रेणी में रखा गया है । इस दान के संबंध में कहा जाता है कि जो व्यक्ति गोदान करता है उसका इस लोक के बाद परलोक में भी कल्याण होता है और ये दान करने वाले व्यक्ति के अलावा उसके पूर्वजों को भी जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है । 

4. कन्यादान ~

 हिंदू धर्म में शादी विवाह के दौरान कई तरह की रस्में निभाई जाती है इन्हीं रस्मों में से एक कन्यादान भी है जिसे हमारे शास्त्रों में महादान अब बताया गया है । सबसे पहले तो मित्रों ये बता दूँ कि कन्या दान का अर्थ कन्या का दान नहीं बल्कि "कन्या का आदान" करना होता है । इस बारे में भगवान कृष्ण ने खुद अर्जुन और सुभद्रा के गंधर्व विवाह के दौरान बताया था जब इस गंधर्व विवाह का विरोध करते हुए बलराम ने कहा था कि सुभद्रा का कन्यादान नहीं हुआ और जब तक कन्यादान नहीं होता तब तक विवाह को पूर्ण नहीं माना जा सकता । इस बार श्रीकृष्ण ने कहा था कि भला पशुओं की भाँति कन्या के दान का समर्थन कौन कर सकता है, कन्या दान का सही मतलब हैं कन्या का आदान है ना की कन्या का दान । मित्रों यहाँ पर ये भी बता दूँ कि आदान का अर्थ लेना या फिर ग्रहण करना होता है, इस तरह एक पिता कन्या की जिम्मेदारी वर को सौंपता है और वर उन दायित्वों को ग्रहण करता है इसे कन्या का आदान कहा जाता है और जब कन्या के पिता शास्त्रों में बताए गए विधि विधान के अनुसार कन्या का आदान करते हुए उसे वर को सौंप देते हैं तो उनके लिए स्वर्ग जाने का रास्ता खुल जाता है । 

5. विद्या दान ~

 सबसे बड़ा महापुण्य जिसका उल्लेख हिंदू धर्म शास्त्रों में मिलता है वो है विद्या का दान जिसे किसी भी दूसरे पुण्य से बड़ा बताया गया है भारतीय संस्कृति में जिसे ज्ञान से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो, ऐसे ज्ञान को ही विद्या कहा गया है और इस दान को श्रेष्ठता में दान माना गया है, क्योंकि इसी विद्या के कारण हम जन्म और मृत्यु के चक्र से निकल पाते हैं । धर्मशास्त्रों के अनुसार अन्न दान करने से भूखे का सिर्फ एक बार पेट भर सकता है लेकिन विद्या का दान करने से अर्थात किसी को अच्छी शिक्षा या फिर ज्ञान देने से वो मनुष्य हमेशा हमेशा के लिए अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है और ऐसा करके वो अपने और अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर सकता है इसीलिए विद्या के दान को एक महापुण्य माना गया है । आजकल जिस युग में हम जी रहे हैं वहाँ विद्या देना एक कारोबार बन गया है, आज बड़े बड़े प्राइवेट स्कूल बना कर विद्या देने के नाम पर अभिभावकों का शोषण किया जाता है इसके अलावा कुछ शिक्षक भी मोटी फीस लेकर बच्चों को पढ़ाते हैं । ऐसा करके भले ही ये लोग खूब कमाई कर रहे हैं, लेकिन याद रहे कि विद्यादान करने की बजाय उसका कारोबार कर ये लोग भी खुद को पाप का भागीदार बना रहे हैं  इसीलिए विद्या के कारोबार से ज्यादा हमें उसके प्रसार पर ध्यान देना चाहिए । 


तो मित्रों यह थे वो पाँचों महापुण्य जिनका उल्लेख हमारे धर्म शास्त्रों में मिलता है । आपको आज की यह जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताइयेगा और ऐसी ही सभी धार्मिक और आध्यात्मिक जानकारीयों के लिए follow करते रहे । 

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