Ravi Pradosh Vrat Katha:-रविवार त्रयोदशी प्रदोष व्रत मे सुने यह विशेष कहानी/कथा/Story of Sunday Trayodashi Pradosh Vrat katha in hindi

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रविवार प्रदोष व्रत कथा




  रविवार प्रदोष व्रत की कथा/Story of Sunday Pradosh Vrat ~

 एक समय की बात है किसी गांव में एक बहुत गरीब ब्राह्मण परिवार निवास करता था उनकी पत्नी नियम पूर्वक प्रदोष व्रत किया करती थी ब्राह्मण को एक पुत्र रत्न प्राप्त था । एक समय की बात है ब्राह्मण का पुत्र गंगा स्नान करने के लिए जाने लगा, दुर्भाग्यवश रास्ते में चोरों ने उसे घेर लिया और कहने लगे हम तुम्हें मारेंगे नहीं तुम अपने पिता के गुप्त धन के बारे में हमें बता दो, तब वह बोला भाइयों हम अत्यंत दुखी और गरीब है हमारे पास धन कहाँ है, तब चोर बोले अच्छा तो तेरी इस पोटली में क्या बंधा है तब ब्राह्मण का पुत्र बोला, मेरी माँ ने मेरे लिए रोटियां दी है । यह सुनकर चोरों ने अपने साथियों से कहा ये बहुत ही गरीब मनुष्य है चलो हम किसी और को लूटेंगे ऐसा कहकर चोरों ने उस ब्राह्मण के पुत्र को जाने दिया । ब्राह्मण का लङका वहाँ से चलता हुई एक नगर में पहुंचा, नगर के पास एक बरगद का बड़ा सा पेड़ था वो ब्राह्मण पुत्र उसी बरगद के वृक्ष की छाया मेँ सो गया । उसी समय उस नगर के सिपाही चोरों की खोज करते हुए उस बरगद के पेड़ के पास पहुंचे और ब्राह्मण के पुत्र को चोर समझकर बंदी बनाकर राजा के पास ले गए, राजा ने उसे कारावास में बंद करने का आदेश दिया । ब्राह्मणी का लड़का जब घर नहीं लौटा तब उसे अपने पुत्र की बहुत चिंता हुई । अगले दिन प्रदोष का व्रत था ब्रह्माणी ने प्रदोष व्रत किया और भगवान शंकर जी से मन ही मन अपने पुत्र की कुशलता की प्रार्थना करने लगी भगवान शंकर ने उस ब्राह्मणी की प्रार्थना स्वीकार कर ली, उसी रात भोलेनाथ ने उस राजा को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि ब्राह्मण का पुत्र चोर नहीं है सुबह होते ही उसे छोड़ दो अन्यथा तुम्हारा सारा राज्य वैभव नष्ट हो जाएगा । प्रातःकाल राजा ने भोलेनाथ की आज्ञा अनुसार उस ब्राह्मण पुत्र को कारावास से मुक्त कर दिया, ब्राह्मण पुत्र ने अपनी सारी कहानी राजा को सुना दी, सारा वृतांत सुनकर राजा ने अपने सिपाहियों को उस ब्राह्मण पुत्र के माता पिता को राज दरबार में लाने के लिए भेजा । ब्राह्मण और ब्राह्मणी बहुत डर गए राजा ने उन्हें डरा हुआ देखकर कहा आप भयभीत ना हो, आपका बालक निर्दोष हैं । राजा ने ब्राह्मण को पांच गांव दान में दे दिए जिससे वो सुख पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सके, भोलेनाथ की कृपा से ब्राह्मण परिवार आनंद से रहने लगा । जो मनुष्य रवि प्रदोष व्रत को करते हैं, कथा सुनते है, वह सुखपूर्वक और निरोगी होकर अपना पूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं तथा उनके जीवन में खुशहाली आती है ।  

जय भोलेनाथ की ।

जय माता पार्वती जी की ।



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