पवित्र कार्तिक मास के पांचवे दिन की कथा /Story of the day 5 of the Pavitra Kartik month

कार्तिक मास

कार्तिक मास कथा-5

 पोपाबाई और भगवान विष्णु की कथा ~ 

भगवान विष्णु के सच्ची भक्त की बहुत सुन्दर कहानी लेकर आए हैं। किसी गांव में एक महिला रहती थीं जिनका नाम पोपाबाई था। वो भगवान विष्णु की सच्ची भक्त थी। वो उनकी पूजा सेवा, पूरे नियम और प्रेम भाव से करती थीं। उन्होंने अपना जीवन भगवान विष्णु को समर्पित कर रखा था। उनके माता पिता का बचपन में ही देहांत हो चुका था, और उनका एक बड़ा भाई था। भाई की शादी हो चुकी थी और वो दिन रात पोपाबाई की शादी की चिंता में लगा रहता था, जब भी कोई रिश्ता आता वो मना कर देती उनके भाई को लगा कि ये सब उनके पूजा पाठ की वजह से हो रहा है, 1 दिन उनका भाई बोला की तुम किसी भी प्रकार का पूजा पाठ अब नहीं करोगी । ये सुनकर पोपाबाई को बहुत दुख हुआ और वो बोली मेरा जीवन भगवान को समर्पित है, मैं कभी शादी नहीं करूँगी और मेरी झोपड़ी गांव के बाहर बनवा दो, मैं यहाँ अब नहीं रहूंगी और गांव के सभी लोगों को कह दो । वो अपनी गाय बछड़ों को मेरे यहाँ घास चरने भेज दे, मैं पूरा दिन उनका ध्यान रखूंगी और वो अपने घर का बचा खुचा खाना मुझे दे देंगे। भाई ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की पर पोपाबाई नहीं मानी, वो अब अकेली गांव के बाहर झोपड़ी में रहने लगी और ज्यादा से ज्यादा समय भगवान की सेवा पूजा में बिताने लगी । 1 दिन उस नगर का राजा शिकार करने जंगल जा रहा था। वो रास्ते में उस झोपड़ी को देखकर रुक गया । उसे प्यास लगी थी, वो झोपड़ी में पानी पीने पहुंचा । झोंपड़ी के पास जाकर उसने आवाज लगाई कोई है कोई है, लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आयी, राजा लगातार आवाज लगाता रहा, अंदर से पोपा बाई बोलीं कौन है तो राजा उनकी मधुर आवाज पर मोहित हो गया और सोचने लगा इतनी मधुर आवाज वाली खुद कितनी सुंदर होगी? राजा के मन में पाप आ गया, बोला मैं यहाँ का राजा हूँ और तुम्हारे साथ विवाह करूँगा । पोपाबाई बोली जहाँ से आए हों वहीं लौट जाओ। मैं किसी भी पर पुरुष का मुख भी नहीं देखती, शादी तो दूर की बात है, ये सुनकर राजा और भी प्रसन्न हो गया और उन्हें जबरदस्ती अपने महल ले गया । पोपाबाई ने राजा को श्राप दिया कि तुम्हारा राजपाट सब नष्ट हो जाएगा, महल में जब रानियों को सारी बात पता चली तो उन्होंने राजा से अनुरोध किया कि इस महिला को वापस छोड़ आओ ये हमारे राज्य के विनाश का कारण हो सकती है, रानियों की बात सुनकर राजा जब पोपाबाई को वापस छोड़ने जाने लगा तब रास्ते में एक पाप की नदी आयी जिसमें राजा डूब गया । पोपा बाई बहुत दुखी थी क्योंकि एक पराई पुरुष ने उन्हें हाथ लगाया था और उनका सतीत्व नष्ट करने की कोशिश करी थी, पोपाबाई ने वहीं अपनी इच्छाशक्ति से अपने प्राणों को त्याग दिया । जब पोपाबाई धर्मराज के पास पहुंची तो उन्होंने पोपाबाई का बहुत आदर और मान किया और बोले आपको वैकुंठ वास् तो नहीं मिल सकता क्योंकि आपने विधान के अनुसार नहीं बल्कि अपनी इच्छाशक्ति से प्राण त्यागे हैं, परंतु भगवान विष्णु की आज्ञा से आपको सोने का राज्य दिया जाएगा। तो दोस्तों ये थी भगवान विष्णु की एक अनन्य भक्त पोपाबाई की कहानी, राज़ है पोपाबाई का वो लेखा लेगी राई राई का । 


जय भगवान विष्णु की ।


जय कार्तिक मास की  ।

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