पवित्र कार्तिक मास मे स्नान का धार्मिक, वैज्ञानिक महत्त्व/Religious, scientific importance of shower in the Pavitra month of Kartik

Kartik month

कार्तिक मास मे गंगा स्नान का महत्त्व 


कार्तिक स्नान क्यों किया जाता है ~ 

कार्तिक मास हिंदू कैलन्डर का आठवां महीना होता है और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार लगभग ये अक्टूबर में अक्टूबर के अंत मे शुरू होता है और नवंबर माह के मध्य तक रहता है तो हिंदू शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार कार्तिक का महीना सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है । पद्म पुराण के अनुसार कार्तिक मास भगवान श्रीकृष्ण को विशेष रूप से प्रिय है । ये कार्तिक मास ही है, जिसमें कई प्रकार के व्रत और त्योहार आते हैं जैसे कि करवा चौथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली और लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजन और तुलसी विवाह, ये सारे के सारे त्यौहार ये सारे के सारे व्रत कार्तिक मास में ही आते हैं तो कार्तिक मास एक विशेष महीना माना जाता है।

 राजस्थान के पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन एक भव्य मेला लगता है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय पशु मेला भी कहा जाता है। वाराणसी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली के रूप में इसे मनाया जाता है तो कार्तिक की पूर्णिमा भी एक विशेष महत्त्व रखती है तो कार्तिक के पूरे महीने में सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान किया जाता है। व्रत रखने को कार्तिक स्नान कहा जाता है क्योंकि कार्तिक के महीने में किया गया व्रत और सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में किया गया स्नान बहुत बड़े परिणाम देता है। इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण को दीप दान भी किया जाता है। कहते है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था यानी की उन्होंने मछली के रूप में धरती पर अवतरण लिया था । 

 कार्तिक स्नान कैसे किया जाता है ~

 कार्तिक स्नान करने के लिए कुछ पारंपरिक नियम बनाए हुए हैं, जिनका पालन बहुत ज्यादा जरूरी है, जो भी भाई, बहन जो भी व्यक्ति कार्तिक स्नान करना चाहता है, तो कार्तिक स्नान सूर्योदय से पहले किया जाता है । कार्तिक मास का व्रत रखना चाहता है, उन्हें नियमों का पालन जरूर से करना चाहिए। 

कार्तिक स्नान के नियम ~ 

 यदि आप कार्तिक स्नान कर रहे हैं तो पूरे कार्तिक के महीने में आपको सूर्य उदय होने से पहले ही तारों की छाया में स्नान करना चाहिए और संध्याकाल के समय तारों की छाया में ही भोजन ग्रहण करना चाहिए । यानी की जब सूर्य अस्त हो जाए उसके बाद ही जब तारें निकल आए तब भोजन ग्रहण करना चाहिए । यानी कि दिन उगने से पहले स्नान करना है और दिन ढलने के बाद भोजन करना हैं । इसीलिए कार्तिक स्नान को कुछ लोग तारा स्नान या तारा भोजन भी कहते हैं । 

हिंदू शास्त्रो के अनुसार कार्तिक स्नान का धार्मिक महत्त्व ~

हिंदू शास्त्र कहते हैं कि जो भी व्यक्ति कार्तिक स्नान करता है उसके कई जन्मों के पापों से उसे मुक्ति मिल जाती है तो कार्तिक स्नान को कई पवित्र स्नान के बराबर फल देने वाला माना जाता है। खासकर कार्तिक स्नान करने वाले व्यक्ति को कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान जरूर से करना चाहिए, इससे समस्त प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है । यही कारण है की कार्तिक पूर्णिमा के दिन बड़ी संख्या में लोग गंगा तट पर स्नान के लिए जाते हैं । यह बहुत ही प्राचीन परंपरा है, प्राचीन काल से ऐसा चला आ रहा है । 


 कार्तिक स्नान नदी या सरोवर में ही क्यों करना चाहिए ~

 हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास को बहुत ज्यादा पवित्र और पूजा अर्चना के लिए सबसे श्रेष्ठ महीना माना गया है । पुण्य प्राप्त करने के कई उपायों में कार्तिक स्नान भी एक बड़ा उपाय है । पुराण के अनुसार कार्तिक के महीने में ब्राह्म महूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करके भगवान विष्णु को और अपने इष्टदेव की आराधना करने से पूर्ण फल मिलता है । ऐसा माना जाता है की कलियुग में कार्तिक पूर्णिमा पर विधि विधान से यदि कोई व्यक्ति नदी स्नान कर लें तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है । यदि आप पूरे महीने कार्तिक स्नान नदी या पवित्र सरोवर में नहीं कर सकते हैं तो कम से कम कार्तिक पूर्णिमा के दिन आपको जरूर से गंगा स्नान करना चाहिए या फिर किसी पवित्र सरोवर या नदी में स्नान करना चाहिए । शास्त्र कहता है कि कार्तिक के महीने के जैसा दूसरा और कोई महीना नहीं है जैसे सतयुग के समान दूसरा कोई युग नहीं है, ठीक वैसे ही वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और कार्तिक स्नान के समान कोई पवित्र स्नान नहीं है । कहते हैं कि गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है । ऐसे में ये पवित्र स्नान किसी पवित्र नदी में सरोवर में ही करना चाहिए । यदि आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं तो गंगाजल को घर पर भी नहाने के पानी मे मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है। 

 कार्तिक स्नान को नदी में करने का न केवल धार्मिक महत्त्व है बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्त्व भी है ।

कार्तिक स्नान का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्त्व ~

 वैज्ञानिक भी सुबह जल्दी उठकर नदी में नहाने के महत्त्व को बताते हैं । वर्षा ऋतु के बाद में मौसम तेजी से बदलता है और मानव शरीर इस बदलते हुए नए मौसम के लिए तैयार नहीं होता, इस नए वातावरण के लिए तैयार नहीं होता है । जब कार्तिक का महीना शुरू होता है तो हल्की हल्की से सर्दियां शुरू हो जाती है और ऐसे में मनुष्य का शरीर इसमें एकदम से ढल नहीं पाता है । ऐसी स्थिति में जब आप कार्तिक महीने में सुबह सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं तो शरीर को एक नई ऊर्जा मिलती है जो पूरा दिन आप के साथ रहती है और आपको जल्दी थकावट महसूस नहीं होती है, जल्दी उठने से हमें ताजा हवा भी प्राप्त होती है, जो स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है । तो पवित्र नदी में स्नान करने से या फिर नदी सरोवर में स्नान करने से कई प्रकार की शारीरिक बीमारियां भी समाप्त हो जाती है और हमारा शरीर बदलते हुए वातावरण के लिए तैयार हो जाता है । तो ये तो वैज्ञानिक मान्यता हैं । 


शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में पवित्र नदियों में ही स्नान करना चाहिए, लेकिन यदि आपके घर के आस पास कोई नदी नहीं है तो आप घर में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं और पूर्णिमा के दिन तो आपको जरूर चाहिए कि आप किसी पवित्र नदी या सरोवर पर अगर आपके आस पास नहीं है दूर है तो वहाँ जाएं, स्नान के बाद में भगवान विष्णु का ध्यान लगाए,

 पद्म पुराण के अनुसार कार्तिक स्नान का महत्त्व ~

पद्म पुराण में ऐसा वर्णन है कि कार्तिक स्नान करने से व्यक्ति को कई तीर्थ के स्नान के समान फल मिल जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है ।  

जय भोलेनाथ की ।

जय भगवान विष्णु की । 

जय गंगा मैया की । 

जय कार्तिक भगवान की । 


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