भगवान गणेश जी रूप के महत्वपूर्ण संदेश/Important messages of Lord Ganesha roop

भगवान गणेश जी
भगवान गणेश जी रूप

  गणपतिजी विघ्नहर्ता हैं, सभी धार्मिक कार्यो को करने से पहले गणपति जी की पूजा की जाती है। भगवान गणेश को सदैव बुद्धि का देवता माना जाता है। इनकी पूजा अर्चना उपासना से जीवन की सभी बाधाएं और मुश्किलें दूर होती हैं।

 इन्हें मोदक, लड्डू और केले बहुत प्रिय है और ये अपने भक्तों से जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। भक्तों पर कृपा बरसाने वाले गणपति के अनेक रूप और अनेक नाम हैं। गणेश जी का अनोखा मनमोहक रूप सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है। खासकर उनका बड़ा पेट और इसी कारण गणपति को लंबोदर भी कहा जाता है। लंबोदर का अर्थ है लंबे उधर वाला अर्थात बड़े पेट वाला। लड्डू प्रेमी भगवान गणेश जी का पेट बहुत बड़ा है इसलिए उन्हें लंबोदर भी कहा जाता है। लेकिन आपके मन में सवाल उठ रहा होगा क्या? खैर उनका नाम लंबोदर हुआ कैसे? तो इसके पीछे भी एक कथा है।

 ब्रह्म पुराण में वर्णन मिलता है कि गणेशजी माता पार्वती का दूध दिन भर पीते रहते थे। उन्हें डर था कि कहीं भैया कार्तिकेयन आकर दूध ना पीले। उनके इस प्रवृत्ति को देखकर पिता शंकर ने 1 दिन विनोद में कह दिया तुम दूध बहुत पीते हो, कहीं तुम लंबोदर ना बन जाओ। बस इसी दिन से गणेश जी का नाम लंबोदर पड़ गया। उनके लंबोदर होने के पीछे कारण यह भी माना जाता है कि वह हर अच्छी बुरी बात को पचा जाते हैं।

लंबोदर स्वरूप ~

 "गणेश जी का लंबोदर स्वरूप संसार को ये ज्ञान देता है की अपना पेट बड़ा रखो"। पेट बड़ा होने से यह तात्पर्य नहीं है कि खूब सारा तेल घी खाकर अपना पेट बढ़ा ले। बड़ा पेट होने का तात्पर्य है "हर चीज़ को पचाना सीखें"। अपने आस पड़ोस में जो भी बातें होती है, उसे सुनकर अपने पेट में ही रखो। किसी की बाते इधर से उधर ना करें, ऐसा करना सीखेंगे तो हमेशा खुशहाल रहेंगे।

 सिर्फ गणेश जी का बड़ा पेट यानी उनका लंबोदर रूप ही हमें सीख नहीं देता, बल्कि उनका पूर्ण रूप ज्ञान का सागर है। गणेश को वेदों में ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव के समान आदिदेव के रूप में वर्णित किया गया है। इनकी पूजा त्री देव भी करते हैं। 

भगवान श्री गणेश सभी देवों में प्रथम पूजनीय हैं। भगवान श्री गणेश मंगलमूर्ति भी कहे जाते हैं क्योंकि इनके सभी अंग हमें कुछ ना कुछ सिखाते है।

 बड़ा मस्तक ~

 गणेश जी का मस्तक काफी बड़ा है। बड़े सिर वाले व्यक्ति नेतृत्व करने में योग्य होते हैं। इनकी बुद्धि कुशाग्र होती है। गणेश जी का बड़ा सिर ये भी ज्ञान देता है कि "अपनी सोच को बड़ा बनाये रखना चाहिए।"

 छोटी आंखें ~

 गणपति की आंखें छोटी है। छोटी आंखें वाले व्यक्ति चिंतनशील और गंभीर प्रकृति के होते हैं। गणेश जी की छोटी आंखें यह ज्ञान देती है।  कि  "हर चीज़ को सूक्ष्मता से देख परख कर ही कोई निर्णय लेना चाहिए।" ऐसा करने वाला व्यक्ति कभी धोखा नहीं खाता।

 सूप जैसे लंबे कान ~ 

गणेश जी के कान सूप जैसे बड़े हैं इसलिए उन्हें गजकर्ण एवं सूपकर्ण भी कहा जाता है। विज्ञान के अनुसार लंबे कान वाले व्यक्ति भाग्यशाली और दीर्घायु होते हैं। गणेश जी के लंबे कानों का एक रहस्य यह भी है कि सबकी सुनते हैं फिर अपनी बुद्धि और विवेक से निर्णय लेते हैं। बड़े कान हमेशा चौकन्ना रहने के संकेत देते हैं। गणेश जी के सूप जैसे कान से शिक्षा मिलती है कि "जैसे सूप बुरी चीज़ो को छांट कर अलग कर देता है उसी तरह जो भी बुरी बातें आपके कान तक पहुंचती है उसे बाहर ही छोड़ दें। बुरी बातों को अपने अंदर ना आने दें।"

गणपति की सूंड ~

 गणेश जी की सूंड हमेशा हिलती डुलती रहती है जो उनके हर पल सक्रिय रहने का संकेत है। ये हमें ज्ञान देती है कि "जीवन में सदैव सक्रिय रहना चाहिए।" जो व्यक्ति ऐसा करता है उसे कभी दुख और गरीबी का सामना नहीं करना पड़ता।

शास्त्रों में गणेश जी की सूंड की दिशा का भी अलग अलग महत्त्व बताया गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सुख समृद्धि चाहते हो, उन्हें दाईं ओर सूंड वाले गणेश की पूजा करनी चाहिए। शत्रु को परास्त करने एवं ऐश्वर्य पाने के लिए बाईं ओर मुड़ी सूंड वाले गणेश की पूजा लाभप्रद होती है। 

एकदंत ~ 

पाले काल में भगवान गणेश का परशुराम जी से युद्ध हुआ था। इस युद्ध में परशुराम ने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दाँत काट दिया। इस समय से ही गणेश जी एकदंत कहलाने लगे। गणेश जी ने अपने टूटे हुए दांत को लेखनी बना लिया और इससे पूरा महाभारत ग्रंथ लिख डाला। ये गणेश जी की बुद्धिमत्ता का परिचय है। गणेश जी अपने टूटे हुए दांत से ये सीख देते हैं की "चीजों का सदुपयोग किस प्रकार से किया जाना चाहिए।" इस प्रकार से गणपति के शरीर के सभी अंग हमें सीख देते हैं। 

जय गणपति जी 

जय गणपति जी 

जय गणपति जी 

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