धनतेरस पर माँ लक्ष्मी जी का किसान के घर आना कथा/Goddess Lakshmi coming to farmer's house on Dhanteras

 

माँ लक्ष्मी जी
धनतेरस पर माँ लक्ष्मी जी की कहानी


धनतेरस पर माँ लक्ष्मी जी की कहानी ~

 नमस्कार दोस्तों, आज की कहानी धनतेरस की कहानी है। एक समय की बात है। भगवान विष्णु मृत्युलोक यानी धरती पर विचरण करने आ रहे थे, तब लक्ष्मीजी ने भी उनके साथ चलने का आग्रह किया। तब विष्णु जी ने कहा यदि तुम मेरी बात मान लो तो मैं तुम्हें अपने साथ ले जा सकता हूँ। तब लक्ष्मीजी ने उनकी बात मान ली और विष्णु जी के साथ। धरती पर आ गई। कुछ देर बाद एक जगह पहुँचकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी से कहा जब तक मैं ना आऊं तुम यहीं रहना, मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूँ, तुम उधर मत आना। विष्णुजी के जाने पर लक्ष्मी जी ने सोचा की आखिर दक्षिण दिशा में ऐसा क्या है जो मुझे वहाँ जाने से मना किया गया है और स्वयं भगवान वहाँ चले गए, लक्ष्मीजी से नहीं रहा गया। और जैसे ही भगवान आगे बढ़े, लक्ष्मी जी भी पीछे पीछे चल पड़ीं। कुछ ही आगे जाने पर उन्हें सरसों का एक खेत दिखाई दिया, जिसमें खूब फूल लगे थे। सरसों की शोभा देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गई और फूल तोड़कर अपना श्रृंगार करने लगी। आगे बढ़ी तो उन्हें एक गन्ने का खेत दिखा। लक्ष्मी जी ने गन्ने तोड़े और उसका रस चूसने लगी। उसी क्षण भगवान विष्णु जी वहाँ आ गए और उन्होंने लक्ष्मी जी को देखकर उनसे नाराज होकर उन्हें श्राप दे दिया कि मैंने तुम्हें इधर आने को मना किया था पर तुम नहीं मानी और किसान की चोरी का अपराध कर बैठी। अब तुम इस अपराध के बदले किसान की 12 वर्ष तक सेवा करो, ऐसा कहकर भगवान उन्हें छोड़कर शिरसागर चले गए। 

तब लक्ष्मीजी उस गरीब किसान के घर रहने लगी । 1 दिन लक्ष्मीजी ने उस किसान की पत्नी से कहा की तुम स्नान करके पहले मेरी बनाई गयी इस देवी लक्ष्मी की मूर्ति का पूजन करो और फिर रसोई बनाना तब तुम इनसे जो मांगोगी वो तुम्हें मिल जाएगा। किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया, पूजा के प्रभाव और लक्ष्मीजी की कृपा से किसान का घर दूसरे ही दिन से अन्न, धन, रत्न, स्वर्ण आदि से भर गया। लक्ष्मी जी ने किसान को धन धान्य से पूर्ण कर दिया। किसान के 12 वर्ष बड़े आनंद से कट गए । 

फिर 12 वर्ष के बाद लक्ष्मीजी जाने को तैयार हुईं। विष्णुजी लक्ष्मीजी को लेने आये तो किसान ने उन्हें भेजने से इंकार कर दिया। तब भगवान ने किसान से कहा। की इन्हीं कौन जाने देता है, यह तो चंचला है, कहीं भी नहीं ठहरतीं, इनको बड़े बड़े नहीं रोक सके । इनको मेरा शाप था इसलिए 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थी । तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय पूरा हो चुका है। किसान हठपूर्वक बोला कि नहीं अब मैं लक्ष्मीजी को जाने नहीं दूंगा, तब लक्ष्मीजी ने कहा हे किसान तुम मुझे रोकना चाहते हो तो जैसा मैं कहूँ वैसा करो । 

कल तेरस है,  तुम घर को लीप -पोतकर स्वच्छ कर देना, रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना और शाम के समय मेरा पूजन करना और एक तांबे के कलश मे रुपए भरकर मेरे लिए रखना । मैं उस कलश में निवास करूँगी किंतु पूजा के समय मैं तुम्हें दिखाई नहीं दूंगी। इस 1 दिन की पूजा से पूरे वर्ष तुम्हारे घर से मैं नहीं जाउंगी। यह कहकर वह दीपकों के प्रकाश के साथ दसों दिशाओं में फैल गई। अगले दिन किसान ने लक्ष्मीजी के कहे  अनुसार पूजन किया। उसका घर धन धान्य से पूर्ण हो गया। इसी वजह से हर तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा होती है और लोग दीवाली के समय धनतेरस का त्योहार मनाते हैं। दोस्तों, आप सभी को धनतेरस की बहुत शुभकामनायें, धन्यवाद

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