पूर्वजों की फोटो को मंदिर में क्यों नहीं रखना चाहिए?/why should photos of ancestors not be kept in the temple?

 
पूर्वजों की फोटो
पूर्वजों के फोटो का स्थान

पूर्वजों की फोटो को मंदिर में नहीं रखना? 

आज इस लेख में हम बात करने वाले हैं कि पूर्वजों की फोटो को मंदिर में क्यों नहीं रखना चाहिए? 

ऐसा कोई भी घर परिवार नहीं है जहाँ पर कभी किसी की मृत्यु ना हुई हो। मृत व्यक्ति के बाद उनके परिवार में उनकी स्मृति के तौर पर लगाई जाने वाली उनकी तस्वीर को किस दिशा पर व्यवस्थित करना चाहिए ताकि घर के किसी और व्यक्ति पर इसका कोई भी नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

 अक्सर सुनने को मिलता है की हमारा फला मृत व्यक्ति मेरे सपने में आया और यह कहा। जिसके कारण घर के सदस्यों में डर का माहौल हो गया है।

 पूर्वजों के फोटो का अपना एक स्थान होता है जिसका उल्लेख वास्तु विज्ञान के सिद्धांतों में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया गया है। कभी भी मृत व्यक्ति के फोटो को देवी देवताओं की फोटो के साथ न लगाएं क्योंकि देव आत्माएं पितरों से बढ़कर होती है तथा हमारे पूर्वजों की आत्माओं को तृप्त रखने का कार्य भी करती है। पितरों के परिवारों को सदा पूर्वजों का सकारात्मक आशीर्वाद ही प्राप्त होता रहे। 

पितरों की तस्वीरें घर में सभी जगहों पर नहीं लगानी चाहिए। इसे शुभ नहीं माना जाता। इससे घर में तनावपूर्ण माहौल बना रहता है।

 एक ही पितर की एक से ज़्यादा तस्वीरें नहीं लगानी चाहिए और हो सके तो अपने से एक पीढ़ी पहले की ही तस्वीर लगानी चाहिए। अगर कोई पूर्वज तापी या प्रसिद्ध हुआ है जिसके कारण अगली पीढ़ियों पर उसके नाम का प्रभाव है तो ऐसे पूर्वज की तस्वीर कई पीढ़ियों तक लगाई जा सकती है। 

पितरों का फोटो घर के ब्रह्म स्थान या कहें कि घर के मध्य स्थान में कभी नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इससे सम्मान की हानि होने की सम्भावनाएं प्रबल हो जाती है।

 जीवित लोगों के फोटो के साथ भी कभी पितरों की तस्वीरें इत्यादि नहीं लगानी चाहिए।

 पितरों की तस्वीरें बैठक, रसोई ,या बेडरूम में भी नहीं लगाई जानी चाहिए।

 पितरों की तस्वीरों को लटकते या झूलती हुई अवस्था में भी नहीं लगाया जाना चाहिए।

घर के किस दिशा में पितरों की तस्वीर लगाई जा सकती है ~

जब भी पितरों की तस्वीर लगाएं तो उन्हें आप ऐसी स्थिति में लगाए जहाँ पर घर के सदस्यों का तो ध्यान आकर्षित हो सकें परंतु अतिथियों का ध्यान वहाँ पर आकर्षित ना हो। 

अगर घर के सदस्य भी उन्हें प्रतिदिन स्मरण करते हैं तो आपके भविष्य पर इसका बुरा प्रभाव हो सकता है। यह माना जाता है कि पूर्वजों को अधिक याद करने से पूर्वजों का आकर्षण भी आपके प्रति बढ़ जाता है व आपके मन में उदासी व निराशा का भाव विकसित हो जाता है। घर के किसी एक ही स्थान पर पितरों की तस्वीर लगाएं और वह स्थान ऐसा होना चाहिए जो कि दिशा दोष से मुक्त हो। 

यदि पूजा स्थान पूर्व दिशा की तरफ हो तो पूर्वजों की तस्वीर ईशान कॉन (उत्तर - पूर्व )की तरफ लगाई जा सकती है। 

यदि पूजा स्थान से भिन्न कहीं पूर्वजों की तस्वीर लगा रखी है तो उत्तर दिशा की दीवार पर लगा सकते हैं ताकि पूर्वजों की तस्वीर का मुख्य चेहरा दक्षिण दिशा की तरफ रहे। 

दक्षिण मुखी दीवार पूर्वजों की तस्वीर लगाने के लिए घर में सबसे उपयुक्त स्थान होता है। अगर ऐसी दिशा ना मिल पाए तो ऐसी दीवार जिसका मुख पूर्व दिशा की तरफ हो, ऐसी जगह पर भी लगाई जा सकती है। अगर इसके अलावा हम कोई दिशा पूर्वजों की तस्वीरों के लिए चुनते हैं तो उसका नकारात्मक प्रभाव घर परिवार पर अवश्य आ सकता है। 

इसी के साथ साथ अलग अलग दिशाओं में पूर्वजों की तस्वीरों को लगाने से जातकों के ग्रहों की अनुकूलता के हिसाब से ही प्रभाव पड़ता है। किसी प्रबुद्ध ज्योतिष वैज्ञानिक से ही सलाह लें क्योंकि बिना ग्रहों की पूर्ण जानकारी के वास्तु कंप्लीट नहीं हो सकता क्योंकि वास्तुविज्ञान जो कि ज्योतिष विज्ञान की भवनों के निर्माण संबंधित एक छोटी सी शाखा ही है।

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