जाने क्यों हर सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए,धार्मिक,वैज्ञानिक कारण/Know why Arghya should be offered to Sun God every morning, religious and scientific reasons


सूर्य देव
सूर्य को अर्घ्य देने का महत्त्व


 हर सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य देना ~

विज्ञान भी मानता है यह बेहद फायदेमंद है, वैसे तो हर दिन सूर्य को अर्घ्य देने का महत्त्व है पर रविवार को इसका महत्त्व बढ़ जाता है। सनातन धर्म ने भी इसके महत्त्व को समझा है और इसीलिए सबसे श्रेष्ठ मानते हुए सूर्यदेव की पूजा को महत्त्व दिया गया है। सूर्य को जल अर्पित किया जाता है।    

 सूर्य को जल अर्पण करने के पीछे धार्मिक कारणों के साथ साथ कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी है। वही हम सब यह भी जानते हैं कि सूर्य पूजा व अर्घ्य सुबह सवेरे ही किया जाता है। 

माना जाता है कि सूर्य की किरणों में सात रंगों का समावेश होता है। जो रंग हम कृत्रिम रौशनी में नहीं देख पाते वे सभी सूर्य की रौशनी में स्पष्ट दिखाई देते हैं। सूर्य की रौशनी के कारण ही हम रंगों की सही पहचान करने में सक्षम होते हैं।

 सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है या जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है या फिर जो निराशावादी होते हैं या फिर जिन्हें घर परिवार में मान सम्मान की अभिलाषा होती हैं, उनके लिए सूर्य को जल चढ़ाना महत्वपूर्ण माना गया है। 

सूर्य को जल अर्पण करने के पीछे वैज्ञानिक कारण -

कहते है की सुबह जब कोई व्यक्ति सूर्य को जल चढ़ाता है तो सूर्य से निकलने वाली किरणें उसको सवस्थ लाभ देती है। सुबह के समय सूरज की जो किरणें निकलती है वे शरीर में होने वाले रंगों के असंतुलन को सही करती है। सूर्य की किरणों में सात रंगों का समावेश होता है। यह रंग रंगों के विज्ञान पर काम करते हैं। माना जाता है कि सुबह के समय सूर्य को जल चढ़ाते समय इन किरणों के प्रभाव से रंग संतुलित हो जाते हैं और साथ ही साथ शरीर में प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ती है। 

सूर्य को जल चढ़ाने का धार्मिक महत्त्व -

धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो सूर्य देव को आत्मा का कारक माना गया है। प्रातः काल सूर्य देव के दर्शन से मन को बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। यह शरीर में स्फूर्ति लाता है। सूर्य प्रकाश का सबसे बड़ा स्रोत है और प्रकाश को सनातन धर्म में सकारात्मक भावों का प्रतीक माना गया है। दुख, तकलीफ और परेशानियों को रात या अंधेरे से जोड़ा गया है। जब सूर्य का उदय होता है तो अंधकार गायब होने लगता है अर्थात सूर्य के आने से सभी नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। यही वजह है सूर्य को श्रेष्ठ ईश्वर का दर्जा दिया गया है।

 सूर्य को जल चढ़ाने की विधि-

सूर्य को जल चढ़ाने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके, तांबे के लौटे से सूर्य को जल अर्पित करने का विधान है। इस विधि के दौरान जल की धारा में से उगते सूरज को देखना चाहिए। इससे धातु और सूर्य की किरणों का असर आपकी दृष्टि के साथ साथ आपके मन पर भी पड़ेगा और आपको सकारात्मक ऊर्जा का आभास होता रहेगा। सूर्य को जल अर्पित करते वक्त इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि रग किया हुआ जल बेकार ना जाए। वो जल किसी वनस्पति में गिरे तो आपको सौभाग्य की प्राप्ति होगी।



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