भगवान गणेश जी का संपूर्ण परिचय /भगवान गणेश पर निबंध (Lord Ganesha Essay in Hindi) *Ganesh Chaturti Special*


भगवान गणेश जी
गणेश चतुर्थी

भगवान गणेश जी के बारे मे जानकारी ~

इस वजह से हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. 

2. गणेश जी चतुर्थी तिथि और बुधवार दिन के अधिपति देव है. इनकी आराधना से बुध ग्रह के दोष भी दूर होते हैं.

3. गणेश जी की चार भुजाएं हैं और वे अपनी चारों भुजाओं में क्रमश: अंकुश, पाश, मोदक से भरा पात्र और वरद मुद्रा धारण करते हैं 

4. वे रक्त के समान रंग वाले, पीले वस्त्र पहनने वाले, बड़े पेट और कानों वाले हैं. वे लाल चंदन धारण करते हैं.
5. गणेश जी को शमी का पेड़ या केले का पौधा भी उनको प्रिय है.

6. दूर्वा उनकी सबसे प्रिय वस्तु है.

7. अलग अलग युगों में उनका वाहन भी अलग अलग हैं.

8.गणेश जी की दो पत्नी ऋद्धि और सिद्धि हैं ये दोनों भगवान विश्वकर्मा की पुत्री हैं.

9.गणेश जी के दो पुत्र शुभ और लाभ हैं.

  शुभ कार्य में सबसे पहले श्री गणेशाय नम: लिखा जाता है?~
 
गण के अधिष्ठाता देवता होने के कारण इन्हें भगवान गणेश कहा गया है। ऐसे में किसी भी तरह का शुभ कार्य शुरू करने से पहले जैसे विद्यारंभ, गृह प्रवेश, विवाह, धार्मिक अनुष्ठान और लेखन करने से पहले श्री गणेशाय नम: लिखा जाता है। ताकि शुभ कार्य या लेखन में कोई बाधा न आने पाए।



 भगवान गणेश को मंगलमूर्ति क्यो कहा गया? ~
इसके पीछे का कारण ये है कि भगवान गणेश विध्नहर्ता, समृद्धिदाता, वैभव दाता, मुहूर्त और शुभ -लाभ के देवता हैं। श्रीगणेश लोक मंगल के देवता हैं,जहां पर कुछ भी अमंगल होता है उसे दूर करने के लिए श्री गणेश अग्रणी रहते हैं। गणेश जी रिद्धि और सिद्धी के स्वामी हैं । इसलिए इनकी कृपा और आशीर्वाद से वैभव, संपदा और समृद्धि का कभी अभाव नहीं रहता है। भगवान गणेश की दोनों पत्नियां रिद्धि और सिद्धि सुख,संपन्नता और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। भगवान गणेश के पुत्र शुभ और लाभ है जो समृद्धि प्रदान करते हैं। स्वयं भगवान गणेश विध्नहर्ता और मंगलमूर्ति हैं। जहां गणपति है वहां पर संपन्नता आती है और बाधाएं दूर होती हैं। ज्योतिष में भगवान गणेश को सभी 27 नक्षत्रों का स्वामी माना गया है। कोई भी मांगलिक कार्य शुभ मुहू्र्त और गणपति की सर्वप्रथम पूजन के साथ ही किए जाते हैं।

 घर के मुख्य दरवाजे और वाहनों में गणेश जी प्रतिमा क्यो लगाई जाती है?~

क्योंकि भगवान गणेश सभी प्रकार की विपत्तियों से रक्षा करते हैं। भगवान गणेश शुभंकर और दिशाओं के देवता हैं। गणेश जी विध्नहर्ता और मंगलकर्ता हैं। यह सभी तरह अमंगल को फौरन ही दूर कर देते हैं। इस कारण से किसी भी तरह के अमंगल से बचने के लिए लोग मुख्य दरवाजे और वाहनों में गणेश जी की मूर्ति को लगाते हैं। गणेश जी सभी दिशाओं के स्वामी होने के कारण इनका नियंत्रण हर दिशा में होता है। स्वस्तिक और ऊं की तरह ही गणेश की प्रतिमा शुभंकर, विध्नहर्ता और रक्षक है। सनातन धर्म में ओम,स्वस्तिक और गणेशजी को शुंभकर माना गया है। गणेश जी हमेशा आने वाले संकटों से भक्तों की रक्षा करते हैं।

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