उपनयन संस्कार/जनेऊ पहनने के लाभ /Janau's(sacred thread)Benefits


जनेऊ

जनेऊ पहनने के लाभ


आइए जानें क्यों पहनते हैं जनेऊ और क्या है इसके लाभ, जनेऊ को उपवेद यज्ञसूत्र वृद्ध मो बंद और ब्रह्म सूत्र भी कहते हैं। इसे उपनयन संस्कार भी कहते हैं। उपनयन का अर्थ है - पास या सन्निकट ले जाना। (ब्रह्म यानी ईश्वर और ज्ञान के पास ले जाना) आपने देखा होगा कि बहुत से लोग बाएं कंधे से दायें बाजू की और एक कच्चा धागा लपेटें रहते हैं, इस धागे को जनेऊ कहते हैं।

जनेऊ तीन सूत्र क्यों -

जनेऊ में मुख्य रूप से तीन धागे होते हैं,

1. यह तीन सूत्र त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक होते हैं ।

2.यह तीन सूत्र देव ऋण पितृ और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं ।

3.यह सत, रज और तम का प्रतीक है । 

4. यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है। 

5. यह तीन आश्रमों का प्रतीक है, संन्यास आश्रम में यज्ञों, वेतन को उतार दिया जाता है। नौतार यज्ञ सूत्र के एक एक तार में तीन तीन तार होते हैं। इस तरह कुल तारों की संख्या नौ होती है। एक मुख, दो नासिका, दो आग, दो कान, मल मुत्र के दो द्वार मिलाकर कुल नौ होते हैं। हम मुख से अच्छा बोले और खाएं, आँखों से अच्छा देखें और कानों से अच्छा सुनें। पंच गांठ यज्ञों बीच में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्मा, धन, अर्ध काम और मोक्ष का प्रतीक है। यह पांच यज्ञों, पांच ज्ञानियों और पांच कर्मों का भी प्रतीक है।

 जनेऊ पहनने के लाभ ~

1. जीवाणुओं कीटाणुओं से बचाव, जो लोग जनेऊ पहनते हैं और इससे जुड़े नियमों का पालन करते हैं, वे मल मूत्र त्याग करते वक्त अपना मुँह बंद रखते हैं। इसकी आदत पड़ जाने के बाद लोग बड़ी आसानी से गंदे स्थानों पर पाए जाने वाले जीवाणुओं और कीटाणुओं के प्रकोप से बच पाते हैं। 

2. गुर्दे की सुरक्षा का यह नियम है, की बैठकर ही जलपान करना चाहिए। अर्थात खड़े रहकर पानी नहीं पीना चाहिए। इसी नियम के तहत बैठकर ही मूत्र त्याग करना चाहिए। उक्त दोनों नियमों का पालन करने से किडनी पर प्रेशर नहीं पड़ता है।

3.  जनेऊ शरीर में खून की प्रभा को भी कंट्रोल करने में मददगार होता है। चिकित्सकों के अनुसार यह हृदय के पास से गुज़रने से यह हृदय रोग की संभावना को कम करता है, क्योंकि इससे रक्त संचार सुचारू रूप से संचालित होने लगता है। 

4.मल मूत्र त्याग करते समय दांत पर दांत बैठाकर रहने से आदमी को लकवा नहीं मारता।

5. कब्ज से बचाव, जनेऊ को कान के ऊपर कसकर लपेटने का नियम है। ऐसा करने से कान के पास से गुज़रने वाली उन नसों पर भी दबाव पड़ता है, जिनका संबंध सीधे आंतों से है। इन नसों पर दबाव पड़ने से कब्ज की शिकायत नहीं होती है। पेट साफ होने पर शरीर और मन दोनों ही सेहतमंद रहते हैं। 

6. स्मरण शक्ति की रक्षा, कान पर हर रोज़ जनेऊ रखने और कसने से स्मरणशक्ति का श्रय नहीं होता है। कान पर दबाव पड़ने से दिमाग की नसें ऐक्टिव हो जाती हैं जिनका संबंध स्मरण शक्ति से होता है। दरअसल, गलतियाँ करने पर बच्चों के कान पकड़ने या एठने के पीछे भी मूल कारण यही होता है। 

7. आचरण की शुद्धता से बढ़ता मानसिक बल, कंधे पर जनेऊ है, इसका मात्र एहसास होने से ही मनुष्य बुरे कार्यों से दूर रहने लगता है। पवित्रता का एहसास होने से आचरण शुद्ध होने लगते हैं। आचरण की शुद्धता से मानसिक बल बढ़ता है।

8. बुरी आत्माओं से रक्षा, ऐसी मान्यता है कि जनेऊ पहनने वालों के पास बुरी आत्माएं नहीं भटकती है। इसका कारण यह है कि जनेऊ धारण करने वाला खुद पवित्र आत्मा रूप बन जाता है और उसमें स्वतः ही आध्यात्मिक पूजा का विकास होता है।

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