शनिदेव को प्रसन्न करने के सात उपाय/shani dev ki drishti se bachne ke upay

 
शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय

शनिदेव महाराज 

शनिदेव महाराज को प्रसन्न करने के उपाय ~


 1.  हर शनिवार को पीपल में जल चढ़ाएं। 
 2.शनिवार के दिन पीपल के नीचे शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।
 3. शनिवार के दिन काले तिल, काली उड़द की दाल पीपल के नीचे चढ़ाएं।

 4. शनिवार के दिन किसी भिखारी को खाली हाथ अपने घर से नहीं जाने देना चाहिए। हो सके तो गरीबों को भोजन भी कराएं।

 5.  शनिवार के दिन अपना मुख सरसों के तेल में देखकर उस तेल को दान कर दें।
 6. शनिवार के दिन दान इत्यादि करना चाहिए। 

 7. शनिवार के दिन शनि चालीसा पढ़ना चाहिए।


शनिदेव को सरसों का तेल क्यों चढ़ाया जाता है?

 आखिर शनिदेव को सरसों का तेल क्यों चढ़ाया जाता है? रामायण काल के दौरान शनि देव को अपने बल और पराक्रम पर घमंड हो गया और उसी समय हनुमान जी के पराक्रम की कीर्ति चारों और फैल रही थी। जब शनिदेव को हनुमानजी के बल का पता चला तो वो हनुमानजी के साथ युद्ध करने के लिए निकल पड़े। लेकिन जब शनिदेव हनुमान जी के पास गए तो उन्होंने देखा कि वो एक शांत स्थान पर श्रीराम की भक्ति में लीन बैठे थे। हनुमान जी को श्रीराम का नाम लेता देख  शनि देव ने उन्हें युद्ध के लिए उकसाया। हनुमानजी ने शनिदेव को समझा कर युद्ध न करने के लिए कहा, लेकिन शनि देव भी हनुमान जी से युद्ध के लिए अड़े रहे। शनि देव के इतना बोलने के बाद हनुमानजी युद्ध के लिए तैयार हो गए। दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में शनिदेव का घमंड चूर चूर हो गया और हनुमान जी जीत गए। हनुमान जी के प्रहार से उनके शरीर पर कई चोटें आईं और शनिदेव दर्द से परेशान हो गए। इसके बाद हनुमानजी ने शनिदेव की चोट पर सरसों का तेल लगाया, जिससे उनकी सभी परेशानी दूर हुई। शनि देव ने कहा कि आज के बाद जो भी मुझे सरसों का तेल चढ़ाएगा उन्हें शनि संबंधी कष्टों से मुक्ति मिलेगी


सूर्योदय से पहले या ब्रह्म मुहूर्त में पीपल में जल नहीं चढ़ाना चाहिए`~

 पीपल एक देव वृक्ष है। इसमें सभी देवी देवताओं का वास होता है। मुख्यतः भगवान विष्णु जी पीपल के वृक्ष में वास करते हैं। गीता मैं स्वयं कृष्ण भगवान ने कहा है कि वृक्षों में मैं पीपल हूँ। जहाँ विष्णु जी होते हैं वहाँ माँ लक्ष्मी जरूर रहती है। पीपल की पूजा के कुछ नियम होते हैं। सबसे पहला नियम। पीपल के वृक्ष को कभी नहीं काटना चाहिए। इसकी डाली तक नहीं काटनी चाहिए। इससे वंशवृद्धि रुकती है। व पितरों को कई कष्ट झेलने पड़ते हैं। हाँ, पूजा, हवन आदि कराकर आप पीपल के वृक्ष की लकड़ी का प्रयोग कर सकते हैं। सूर्योदय से पहले या ब्रह्म मुहूर्त में पीपल में जल नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि उस समय पीपल के वृक्ष में लक्ष्मी जी की बहन अलक्ष्मी का वास होता है। सूर्योदय के पश्चात जल चढ़ाने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है। रविवार के दिन भी पीपल में अलक्ष्मी का वास होता है इसलिए रविवार के दिन पीपल के वृक्ष में जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इससे दरिद्रता घर में आती है।

जय बजरंग बली ।

जय शनिदेव ।


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