Raksha bandhan ki suruat kaise hui/रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई?

रक्षाबंधन
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रक्षाबंधन का त्योहार क्यो मनाया जाता है ~


 रक्षाबंधन का त्यौहार सदियों से भारतीय जन मानस का हिस्सा रहा है जो कि हर सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस साल यह 30 और 31 अगस्त को मनाया जा रहा है। दोस्तों रक्षाबंधन का पर्व दो शब्दों के मिलने से बना हुआ है रक्षा और बंधन। इसका मतलब होता है की एक ऐसा बंधन जो की रक्षा प्रदान करें। तो आइये जानते हैं इस त्योहार का आधार क्या है? यह शुरू कहाँ से हुआ? भविष्य पुराण में ये लिखा हुआ है -कि जब असुरों के राजा बलि ने देवताओं के ऊपर आक्रमण किया था तब देवताओं के राजा इंद्र को काफी क्षति पहुंची थी। इस अवस्था को देखकर इंद्र की पत्नी सच्ची से रहा नहीं गया और वो विष्णु जी के पास गई। इसका समाधान प्राप्त करने के लिए तब प्रभु विष्णु ने एक धागा सच्ची को प्रदान किया और कहा कि वो इस धागे को जाकर अपने पति के दाहिनी कलाई पर बांध दें और जब उन्होंने ऐसा किया तब इंद्र के हाथों राजा बलि की पराजय हुई। जिस दिन यह रक्षा सूत्र बांधा गया। उस दिन श्रावण पूर्णिमा थी और तभी से इस दिन रक्षासूत्र बांधने की परंपरा की शुरुआत हुई। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि इस लेख के अनुसार तो भाई बहन के रिश्ते की कोई बात नहीं है। जी दोस्तों, यहाँ से इस पवित्र धागे यानी की रक्षा सूत्र का प्रचलन आरंभ हुआ। भगवान कृष्ण और द्रौपदी की विशेष कथा से इस रक्षा सूत्र/ रक्षा का बंधन  ने एक विशेष रूप धारण किया। शिशुपाल की 100 गलतियों को माफ़ करने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया,तब सुदर्शन चक्र से  उनकी ऊँगली कट गई, जिससे रक्त बहने लगा। यह देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर भगवान श्रीकृष्ण की उँगली पर बांध दिया। उसी क्षण श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन माना और आजीवन उनकी रक्षा करने का वचन दिया। इसी वचन को भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाकर पूर्ण किया था। तभी से ये त्यौहार भाइयों और बहनों के लिए बहुत खास हो गया। तब से बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र यानी की राखी बांधकर उनके जीवन के हर संघर्ष में उनके सफल होने तथा निरंतर प्रगति की प्रार्थना करती है। भाई इसके बदले अपनी बहनों की हर प्रकार की विपत्ति से रक्षा करने का वचन देते हैं और उनके शील एवं मर्यादा की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। समय के साथ साथ  रक्षा सूत्र को अलग अलग रूप और नाम तो मिले जैसे राखी, मौली या कलावा लेकिन मकसद एक ही है रक्षा का बंधन ।

जय भगवान कृष्ण जी की ।

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